इस बार वैशाख मास 24 अप्रैल से 23 मई तक

इस बार वैशाख (Vaishakh) मास 24 अप्रैल से 23 मई तक है।

सनातन धर्म (Hindu Dharm) के शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास सुख संपति देने वाला , पापरूपी इंधन को अग्नि की भाँति जलानेवाला, अतिशय पुण्य प्रदान करनेवाला तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष – चारों पुरुषार्थों को देनेवाला है ।

देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : ‘‘राजन् ! जो वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं । पाप तभी तक गरजते हैं जब तक जीव यह पुण्यस्नान नहीं करता ।

“वैशाख मास में सब तीर्थ आदि देवता बाहर के जल (तीर्थ के अतिरिक्त) में भी सदैव स्थित रहते हैं । सब दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसीको मनुष्य वैशाख में केवल जलदान करके पा लेता है । यह सब दानों से बढ़कर हितकारी है ।’’

पद्म पुराण के अनुसार इस मास को  माधव मास भी कहा जाता है l इस मास  में जो भक्तिपूर्वक दान, जप, हवन और स्नान आदि शुभ कर्म किये जाते हैं, उनका पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है ।

हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों ने तो यहां तक कि व्यवस्था कर रखी है कि इस मास में सूर्योदय के पहले स्नान कर सकें तो बहुत ही अच्छा है नहीं तो इस संपूर्ण वैशाख मास की महिमा ऐसी अद्भुत है कि इसे मानों भगवान का वरदान प्राप्त है, कि इस मास में सूर्योदय के बाद भी 2 घंटे 24 मिनट तक  शुभ ग्रह-नक्षत्रों व तीर्थों का प्रभाव सभी जलाशयों और अपने घर आदि स्थानों कहीं पर भी उपलब्ध जल में रहता है । तो इसका लाभ अवश्य अवश्य उठाएं।

स्नान करते समय

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।

अथवा तो “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय “

या कोई भी भगवान के नाम का जप करना चाहिए l

बुरी आदतों को छोड़ने में भी यह प्रभावशाली उपाय माना जाता है , क्योंकि इससे बुद्धि शुद्ध और प्रभावशाली बनती है ऐसा भी संतों का कहना है l

मंगलवार को चैत्री पूर्णिमा (23 अप्रैल) से वैशाखी पूर्णिमा (23 मई) तक सुबह स्नान करते समय भगवान के नाम का जप करेंगे तो विद्यार्थियों की पढ़ाई में बहुत फायदा होगा , ऐसा भी धर्म विशेषज्ञों का कहना है l    

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