प्रधानमंत्री मोदी की नई दृष्टि: PMO को सेवा और जनता का केंद्र बनाना

शपथ ग्रहण समारोह

रविवार को नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। सोमवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित किया और PMO की नई दिशा और दृष्टि पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

PMO: शक्ति नहीं, सेवा का केंद्र

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारा मकसद है कि PMO को लेकर ऊर्जा प्रसारित होती रहे। यहां से नई-नई चेतना प्रसारित होती रहे। मेरी कोशिश रही है कि PMO सेवा का अधिष्ठान होना चाहिए। PMO पीपुल्स PMO होना चाहिए। ये मोदी का PMO नहीं हो सकता।”

पिछले 10 वर्षों की छवि बदलने का प्रयास

मोदी ने कहा, “10 साल पहले हमारे देश में PMO को लेकर एक छवि बनी हुई थी कि यह शक्ति का एक केंद्र है। मैं न सत्ता के लिए पैदा हुआ हूं और नहीं शक्ति अर्जित करने के लिए सोचता हूं। 2014 से हमने PMO को एक कैटेलिटिक एजेंट के तौर पर डेवलप करने की कोशिश की है। हमारा मकसद है कि PMO को लेकर ऊर्जा प्रसारित होती रहे।”

140 करोड़ लोगों के प्रति समर्पण

पीएम मोदी ने कहा, “मेरे दिल-दिमाग में सिवाय 140 करोड़ लोगों के अलावा कोई नहीं है। मेरे लिए 140 करोड़ नागरिक नहीं हैं, बल्कि ये मेरे लिए परमात्मा का रूप हैं। जब मैं सरकार में बैठकर कोई फैसले करता हूं, तो मैं सोचता हूं कि 140 करोड़ देशवासियों की मैंने इस रूप में पूजा की है।”

ऊर्जा का रहस्य: भीतर का विद्यार्थी

मोदी ने अपने ऊर्जा का रहस्य बताते हुए कहा, “सफल इंसान वो होता है, जिसके भीतर का विद्यार्थी कभी मरता नहीं है। लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं इतनी एनर्जी कहां से लाता हूं और क्यों नहीं थकता। मेरी एनर्जी का रहस्य यह है कि मैं अपने भीतर के विद्यार्थी को जिंदा रखता हूं। जो व्यक्ति अपने भीतर के विद्यार्थी को जिंदा रखता है, वो कभी भी सामर्थ्यहीन नहीं होता।”

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी का उद्देश्य है कि PMO को सेवा और जनता का केंद्र बनाया जाए, जिसमें जनता की भलाई और सेवा सर्वोपरि हो। उनका संदेश साफ है कि PMO शक्ति का केंद्र नहीं, बल्कि सेवा का केंद्र होना चाहिए।

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