ऐतिहासिक बारिश
मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, गुरुवार सुबह 8:30 बजे से शुक्रवार सुबह 8:30 बजे तक 24 घंटे में दिल्ली में 228.1 मिमी (9 इंच) बारिश हुई। यह जून महीने में 88 साल बाद एक दिन में सबसे ज्यादा बारिश है। इससे पहले जून 1936 में 24 घंटे में 235.5 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली ने भीषण हीटवेव का सामना किया था, जहां मुंगेशपुर में पारा 52 डिग्री के पार चला गया था। अब दिल्ली दशकों में सबसे ज्यादा बारिश का सामना कर रही है।
भीषण बारिश के कारण उत्पन्न हालात
दिल्ली के सफदरजंग वेदर स्टेशन के अनुसार, दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास के इलाकों में शुक्रवार को तीन घंटे में 148.5 मिमी (5.85 इंच) बारिश हुई। पिछले साल पूरे जून में कुल 101.7 मिमी (4 इंच) बारिश हुई थी। भारी बारिश की वजह से सड़कों पर बाढ़ जैसे हालात बन गए, जिससे कारें डूब गईं और कई जगहों पर नावें भी चलीं। ट्रैफिक जाम के कारण लोग कमर तक पानी में डूबकर रास्ता पार करने को मजबूर हुए।
हवाई अड्डा और मेट्रो प्रभावित
दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 में पार्किंग की छत ढहने से एक कैब ड्राइवर की मौत हो गई। बारिश के कारण कई मेट्रो स्टेशन भी बंद करने पड़े और अंडरपास में पानी भर गया। कुल मिलाकर शुक्रवार को दिल्ली में बारिश से अफरा-तफरी की स्थिति रही।
मॉनसून की स्थिति
मौसम विभाग के मुताबिक, मॉनसून ने दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, और बिहार में पूरी तरह प्रवेश कर लिया है। हरियाणा में भी इसकी एंट्री हो चुकी है। मॉनसूनी बारिश से दिल्ली में भीषण गर्मी और हीटवेव से राहत मिली है। बीते दिनों तापमान 50 डिग्री सेल्सियस (122 फ़ॉरेनहाइट) के करीब पहुंच गया था। IMD के मुताबिक, दिल्ली में 22 जून से तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 फ़ॉरेनहाइट) या उससे ऊपर दर्ज किया गया है।
क्लाइमेट चेंज के प्रभाव
IMD के एक अधिकारी के अनुसार, मॉनसून का रूट एक हफ्ते के लिए रुका हुआ था, जिससे उत्तर भारत में कम बारिश हुई और गर्म हवाएं चलीं। लेकिन पिछले हफ्ते अचानक आए तूफान ने मॉनसून के बादलों को वापस मोड़ दिया, जिससे मॉनसून के पूरे देश में समय पर पहुंचने में मदद मिली है।
विशेषज्ञों की राय
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की डायरेक्टर जनरल सुनीता नारायण ने कहा कि क्लाइमेट चेंज के कारण भारी बारिश की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने कहा, “अगर आप पूरे भारत के आंकड़ों को देखें, तो पाएंगे कि कई मौसम केंद्रों ने पहले से ही भारी बारिश को रिपोर्ट किया है।” ऊर्जा, पर्यावरण और जल के लिए थिंक टैंक में शामिल विश्वास चितले ने कहा, “दिल्ली ने पिछले 40 साल में अनियमित मॉनसून पैटर्न को सहन किया है। इस दौरान हमें बहुत कम और बहुत ज्यादा बारिश दोनों का सामना करना पड़ा है।”
समाधान की दिशा में कदम
विशेषज्ञों का कहना है कि देश को अपने ग्रीन बेल्ट को बढ़ाने और गर्मी के प्रभावों के प्रति सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही, काम के घंटों में कमी के बारे में भी विचार किया जाना चाहिए। क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों को संजीदगी से लेते हुए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।