हाथरस भगदड़ मामले में मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर घटना के बाद से घर नहीं लौटा है और उसके परिवार के सदस्यों का भी कोई पता नहीं है। इस भगदड़ में 121 लोग मारे गए थे।
अलीगढ़:
राहुल गांधी ने पीड़ित परिवारों से की मुलाकात
रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पिलखना गांव पहुंचे और हाथरस भगदड़ के पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान एक बच्ची राहुल गांधी के गले लगकर रोने लगी। राहुल गांधी से मिली एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि इस हादसे ने उनके परिवार की जिंदगी बदल दी। राहुल गांधी ने 25 मिनट तक पीड़ितों के परिवार वालों से मुलाकात की। इस भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। पुलिस के अनुसार, इस घटना में जान गंवाने वाले 121 लोगों में से 17 अलीगढ़ से थे और 19 लोग हाथरस से थे।
राहुल गांधी ने पीड़ित परिवारों को दिया मदद का आश्वासन
राहुल गांधी सबसे पहले मंजू देवी के घर पहुंचे और उनके परिवार से मुलाकात की। हाथरस हादसे में मंजू देवी और उनके बेटे की मौत हो गई थी। राहुल ने हादसे के बारे में जानकारी ली और पीड़ित परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। मंजू देवी की बेटी ने कहा कि इलाज में जैसी मदद होनी चाहिए वो नहीं हो सकी। राहुल गांधी ने कहा कि आप परेशान न हों, पूरी मदद की जायेगी। राहुल गांधी ने पिलखना गांव में दो और परिवारों – शांति देवी और प्रेमवती – के घर भी पहुंचे।
राहुल गांधी का बयान
पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद राहुल गांधी ने कहा, “दुख की बात है। बहुत परिवारों को नुकसान हुआ है। काफी लोगों की मृत्यु हुई है। प्रशासन की कमी और गलतियां हुई हैं। मुआवज़ा सही मिलना चाहिए। मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से विनती करता हूं कि दिल खोलकर मुआवजा दें। मुआवज़ा जल्दी से जल्दी देना चाहिए।”
हादसे की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की पहली बैठक
तीन जुलाई को सीएम योगी ने भी हाथरस का दौरा किया था और पीड़ित परिवारों से मिले थे। हादसे की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की पहली बैठक गुरुवार शाम सीतापुर जिले के नैमिषारण्य में हुई। आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जज बृजेश श्रीवास्तव ने कहा कि बहुत जल्द आयोग की टीम हाथरस जाएगी और सबूत इकट्ठा करेगी।
पुलिस की बड़ी कार्रवाई
हाथरस भगदड़ मामले में पुलिस ने आयोजन समिति के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें चार पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं। इनकी पहचान राम लड़ैते, उपेंद्र सिंह, मेघ सिंह, मुकेश कुमार, मंजू यादव और मंजू देवी के रूप में हुई है। पूछताछ में पता चला कि ये लोग आयोजन समिति से जुड़े थे और इससे पहले भी कई कार्यक्रमों का आयोजन कर चुके हैं। इनका काम पंडाल की व्यवस्था और लोगों को एकत्रित करना था।