मरने वालों की गिनती पूरी हो गई, पहचान अधूरी है। अस्पतालों में कराहते 41 जिंदा हैं, और कागज़ों में मौतें दर्ज़ हो रही हैं। परिजनों से कहा गया है:
“रोना बाद में, पहले सैंपल दीजिए — सिस्टम को यकीन चाहिए।”
जिस देश में ज़िंदा इंसान पहचान के लिए लड़ता है, वहाँ मरे हुए को भी साबित करना पड़ता है कि वो किसका था।
AI-171: 204 मौतें, 41 घायल — अब डीएनए बताएगा कौन किसका था
एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद में ज़मीन चूम गई — 242 में से 204 मुसाफिर अब सिर्फ आंकड़े हैं। 41 अस्पताल में हैं, और अस्पताल में ही अब ‘परीक्षा भवन’ बना है, जहाँ परिजनों से डीएनए सैंपल लेकर साबित किया जाएगा कि कौन किससे जुड़ा था।
बचाव हुआ नहीं, पर पहचान सुनिश्चित होगी — क्योंकि हमारी व्यवस्था में इंसानियत से ज़्यादा भरोसा लैब रिपोर्ट पर होता है।
ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टर, बाहर हेल्पलाइन नंबर, और ऊपर से आदेश:
“शोक बाद में, सैंपल पहले दें।”
कैप्टन सुमित सभरवाल 8200 घंटे की उड़ान के बाद आख़िरी लैंडिंग कर गए।बोर्ड पर भारतीय, ब्रिटिश, कनाडाई और पुर्तगाली — मौत के बाद सब एक ही कतार में।
अब जांच होगी, बयान आएंगे, और एक और हादसे तक सब कुछ ‘नियंत्रण में’ रहेगा।