भारत में विधानसभा उपचुनाव का महत्व राजनीतिक परिदृश्य में बहुत अधिक है। वर्तमान में 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। इन उपचुनावों का परिणाम विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए निर्णायक हो सकता है। आइए देखते हैं कि कौन-कौन सी सीटें और राज्य इन चुनावों में शामिल हैं।
बिहार
बिहार में रूपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। यह सीट जदयू विधायक बीमा भारती के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीमा भारती ने जदयू और विधायकी से इस्तीफा देकर राजद का दामन थाम लिया था। इस बार बीमा भारती को निर्दलीय सांसद पप्पू यादव का समर्थन मिल रहा है। जदयू ने इस सीट पर कलाधर प्रसाद मंडल को मैदान में उतारा है।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की चार विधानसभा सीटें रायगंज, राणाघाट दक्षिण, बागड़ा और मनीकतला पर उपचुनाव हो रहे हैं। मानिकतला सीट तृणमूल कांग्रेस के पूर्व विधायक साधन पांडे के निधन के बाद खाली हो गई थी। वहीं, भाजपा विधायकों के इस्तीफे के बाद अन्य सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इन सीटों पर तृणमूल कांग्रेस, भाजपा और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर है।
तमिलनाडु
तमिलनाडु की विक्रवांडी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। यह सीट द्रमुक विधायक एन पुगाझेंधी के निधन के बाद खाली हुई थी। द्रमुक ने अन्नियुर शिवा को उम्मीदवार बनाया है। अन्नाद्रमुक ने उपचुनाव का बहिष्कार किया है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव हो रहा है। यह सीट कांग्रेस विधायक कमलेश शाह के पाला बदलने के कारण खाली हुई थी। कांग्रेस ने धीरेन शाह को और बीजेपी ने कमलेश शाह को मैदान में उतारा है। यह सीट अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित है।
उत्तराखंड
उत्तराखंड की बद्रीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। बद्रीनाथ सीट कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के इस्तीफे के कारण और मंगलौर सीट बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के कारण खाली हुई थी। दोनों सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है।
पंजाब
पंजाब की जालंधर पश्चिम (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। यह उपचुनाव मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस सीट पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, भाजपा और बसपा के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है।
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश की तीन विधानसभा सीटें देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ पर उपचुनाव हो रहे हैं। ये सीटें निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे के बाद खाली हुई थीं। इन उपचुनावों में भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है।
निष्कर्ष
इन उपचुनावों का परिणाम विभिन्न राज्यों की राजनीतिक स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। प्रत्येक सीट पर विभिन्न दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। यह उपचुनाव आगामी विधानसभा चुनावों की दिशा भी निर्धारित कर सकता है। विभिन्न दलों के लिए यह एक अवसर है अपने समर्थकों को जुटाने और अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने का।
इस उपचुनाव के परिणाम से यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि जनता का समर्थन किस पार्टी के साथ है और किस पार्टी को आगामी चुनावों में लाभ हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन उपचुनावों के नतीजे कैसे निकलते हैं और कौन सी पार्टी किस राज्य में अपनी पकड़ मजबूत कर पाती है।