प्रधानमंत्री मोदी का असम दौरा: नॉर्थ ईस्ट में विकास और शांति की नई दिशा

आज असम के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीफू में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नॉर्थ ईस्ट के विकास और शांति की दिशा में हो रहे बदलावों पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “2014 के बाद से नॉर्थ ईस्ट में मुश्किलें कम हो रही हैं और लोगों का विकास हो रहा है। आज जब कोई असम के जनजातीय क्षेत्रों या नॉर्थ ईस्ट के दूसरे राज्यों में आता है, तो बदलते हालात देखकर उसे भी अच्छा लगता है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “ये सुखद संयोग है कि जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, हम इस धरती के महान सपूत लचित बोरफुकान की 400वीं जन्मजयंति भी मना रहे हैं। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रशक्ति की प्रेरणा है। कार्बी आंगलोंग से इस महान नायक को मैं नमन करता हूं।”

प्रधानमंत्री ने ‘डबल इंजन की सरकार’ की भावना पर जोर देते हुए कहा, “जहां भी ऐसी सरकार होती है, वहां सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से काम किया जाता है। आज यह संकल्प कार्बी आंगलोंग की इस धरती पर फिर सशक्त हुआ है। असम की स्थाई शांति और तेज़ विकास के लिए जो समझौता हुआ था, उसे जमीन पर उतारने का काम तेजी से चल रहा है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि असम में 2600 से अधिक अमृत सरोवर बनाने का काम शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा, “सरोवरों का निर्माण पूरी तरह से जनभागीदारी पर आधारित है। इससे गांवों में पानी के भंडार तो बनेंगे ही, साथ ही यह कमाई के भी स्रोत बनेंगे।”

प्रधानमंत्री ने 2014 के बाद नॉर्थ ईस्ट में शांति और विकास की दिशा में हुए सुधारों का उल्लेख करते हुए कहा, “त्रिपुरा में भी NLFT ने शांति के पथ पर कदम बढ़ाए हैं। ब्रू-रियांग समस्या का भी समाधान हो चुका है। पिछले वर्ष सितंबर में कार्बी आंगलोंग के कई संगठन शांति और विकास के संकल्प से जुड़े। 2020 में बोडो समझौते ने स्थाई शांति के नए द्वार खोले। बीते 8 सालों के दौरान स्थाई शांति और बेहतर कानून व्यवस्था के चलते AFSPA को नॉर्थ ईस्ट के कई क्षेत्रों से हटा दिया गया है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा से जुड़े मामलों के समाधान की दिशा में उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला और कहा, “असम और मेघालय के बीच बनी सहमति दूसरे मामलों को भी प्रोत्साहित करेगी। इससे पूरे क्षेत्र के विकास की आकांक्षाओं को बल मिलेगा। जनजातीय समाज की संस्कृति, भाषा, खान-पान, कला, हस्तशिल्प आदि हिंदुस्तान की समृद्ध धरोहर हैं। असम इस मामले में और भी समृद्ध है। यही सांस्कृतिक धरोहर भारत को जोड़ती है और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करती है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के अंत में कहा, “आजादी के इस अमृतकाल में कार्बी आंगलोंग भी शांति और विकास के नए भविष्य की तरफ बढ़ रहा है। अब हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना है। आने वाले कुछ वर्षों में हमें मिलकर उस विकास की भरपाई करनी है, जो बीते दशकों में हम नहीं कर पाए।”

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