खेल मैदान के लिए हिंदू धर्म संस्कृति के केंद्र बिंदु “आश्रम” को तोड़ना धर्मद्रोह तो नहीं

नई दिल्ली: हाल फिलहाल में सनातन धर्म और इनके धर्मावलंबियों पर हमले बढते जा रहे हैं, ऐसे ही एक मामला सामने आया है जिसमें पिछले 50 वर्षों से सनातन आस्था का केंद्र बिंदु संत श्री आसारामजी बापू द्वारा स्थापित अहमदाबाद आश्रम को ओलिंपिक खेल मैदान के निर्माण के लिए तोड़ने का नोटिस भेजना (जिसमें सिर्फ पांच दिनों का समय दिया गया है) क्या हिंदू धर्माबलबियों के लिए उनके केंद्र और राज्य सरकार के प्रति विश्वास का विश्वासघात नहीं है ? क्या ये हिन्दुओं के समर्थन से बनी सरकार का हिंदुत्व और हिन्दुओं के प्रति क्षल तो नहीं है ?

आइए जाने क्यों जरूरी है संत श्री आसारामजी बापू द्वारा स्थापित अहमदाबाद आश्रम का संरक्षण।

संत श्री आसारामजी बापू का अहमदाबाद आश्रम पिछले 50 वर्षों से सनातन आस्था का केंद्र बिंदु रहा है यहां लाखों साधक अपने अध्यात्मिक जिज्ञासा को तृप्त करने के लिए आते हैं, जहां आज हिन्दुओं में ही अपने धर्म और संस्कृति के प्रति घृणा का भाव भरा जा रहा है वहीं यह आश्रम धर्म और संस्कृति की सेवा के लिए तत्पर रहा है, हजारों लोगों के लिए उनके श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक आश्रम साथ में गुरुकुल भी संचालित कर रही है जिसमें हजारों बच्चे लौकिक शिक्षा के साथ साथ अध्यात्मिक शिक्षा को भी ग्रहण कर रहे हैं। वर्षों से यह स्थल आध्यात्मिकता, नैतिकता , शांति और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र बिंदु रहा है। यहां का दीपावली शिविर में हजारों बच्चे हिंदू धर्म की महान संस्कृति का फायदा उठाने के लिए जप ,ध्यान आसन प्राणायाम और भगवान् की भक्ति सीखते हैं, ऐसे धार्मिक स्थलों को सिर्फ इसलिए तोड़ देना की कुछ दिनों के लिए खेल को आयोजित करना हो तो यह कहां तक जायज़ है।

खेल मैदान के लिए आश्रम तोड़ना धर्मद्रोह तो नहीं ?

ओलिंपिक जैसे खेल का आयोजन भी चंद दिनों के लिए किया जाता है उसके लिए वर्षों से स्थापित हिंदू धार्मिक स्थलों को तोड़ना बिल्कुल मूर्खतापूर्ण हरकत लगती है साथ ही साथ यह राज्य एवं केंद्र में काबिज नेताओं का सनातन धर्म के प्रति कुंठा के भाव को दर्शाती है।

संत श्री आसारामजी बापू के आश्रम को तोड़ने का प्रयास पहले भी हुआ है, वर्ष 2009 में आश्रम में पुलिस द्वारा संतों और सज्जन धर्मात्माओं को बिन वजह पीटा गया है साथ ही साथ अभद्र भाषा का प्रयोग यह दर्शाता है कि राज्य सरकार की मनसा इस आश्रम और संत श्री आसारामजी बापू के प्रति ठीक नहीं रही है।

आखिर न्याय के लिए हिंदू कहां जाए .?

आज देश भर में हिंदू प्रताड़ित हो रहे हैं, सनातन संस्कृति को मिटाने के आसाधारण प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही साथ उसे सरकार और न्यायालय का भी भरपूर साथ मिल रहा है ऐसे में हिंदू धर्मावलंबी बेबस और असहाय नज़र आता है न्यायालय वैसे ही सनातन धर्म के प्रति कुंठा से ग्रसित रही है वहीं तथाकथित हिंदुत्व की राजनीति करने वाली सरकार भी हिन्दुओं को ही मिटाने पे तुली हो तो वे हिंदू धर्म खतरे में नज़र आती है। ऐसे में हिन्दुओं को एकजूट हो धर्म पर आ रहे खतरे के प्रति सजग प्रतिरोध की आवश्यकता है अन्यथा धर्म और संस्कृति मिट जाएगी लोग निर्दोष मारे जाएंगे।