बिहार की बड़ी हिस्सेदारी
नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति भवन में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इस बार उनके मंत्रिमंडल में बिहार से आठ मंत्रियों ने शपथ ली, जो पहले के मुकाबले अधिक है। 2019 में 6 और 2014 में 7 मंत्री बिहार से बने थे।
मंत्रियों की सूची और पार्टी वाइज विवरण
नए मंत्रिमंडल में बिहार से बनाए गए आठ मंत्रियों में भाजपा के चार, जदयू के दो, लोजपा (रामविलास) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के एक-एक सांसद शामिल हैं। चार मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। भाजपा से नित्यानंद राय और गिरिराज सिंह को फिर से मंत्री बनाया गया है। वहीं, भाजपा के सतीश चंद्र दूबे और राज भूषण चौधरी को राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया है।
जदयू और एनडीए का प्रतिनिधित्व
जदयू से सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और राज्यसभा सदस्य रामनाथ ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी और लोजपा (रामविलास) के चिराग पासवान को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
जातीय और क्षेत्रीय संतुलन
मंत्रिमंडल में बिहार के जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है। उच्च जाति, पिछड़ी जाति, और दलित समुदाय से तीन-तीन मंत्री बनाए गए हैं। पासवान जाति से चिराग पासवान, मुसहर जाति से जीतन राम मांझी, और अति पिछड़ी जाति से जदयू के रामनाथ ठाकुर तथा भाजपा के राज भूषण चौधरी को मंत्री बनाया गया है। वहीं, नित्यानंद राय पिछड़े वर्ग से और गिरिराज सिंह, ललन सिंह, तथा सतीश चंद्र दुबे उच्च जाति से हैं।
क्षेत्रीय संतुलन
एनडीए ने क्षेत्रीय संतुलन को भी ध्यान में रखा है। उत्तर बिहार से छह, पूर्वी बिहार और मगध क्षेत्र से एक-एक मंत्री बनाए गए हैं। उत्तर बिहार को विशेष प्राथमिकता दी गई है, जहां एनडीए ने बड़ी सफलता हासिल की है। सीमांचल और कोसी की तीन सीटें, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार को छोड़कर, सभी सीटों पर एनडीए के प्रत्याशी विजयी रहे हैं।
निष्कर्ष
मोदी मंत्रिमंडल में बिहार की बड़ी हिस्सेदारी को देखते हुए यह स्पष्ट है कि पीएम मोदी ने जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा है। इससे न केवल बिहार में राजनीतिक संतुलन साधने में मदद मिलेगी, बल्कि राज्य के विकास और केंद्रीय राजनीति में उसकी भूमिका भी महत्वपूर्ण बनी रहेगी।