भारतीय वायुसेना: लोकतंत्र के महापर्व में अहम योगदान

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के योगदान के बिना लोकतंत्र के इतने बड़े उत्सव की कल्पना भी नहीं की जा सकती। 18वीं लोकसभा चुनाव में भी भारतीय वायुसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश में कोई भी चुनाव सुरक्षाबलों की भागीदारी के बिना संभव नहीं हो सकता।

चुनाव में वायुसेना की भूमिका

लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं और नई सरकार का गठन हो चुका है, लेकिन सुरक्षाबलों की भूमिका को नहीं भुलाया जा सकता। वायुसेना अपने अतुल्य योगदान का प्रचार भले ही न करती हो, लेकिन राष्ट्र निर्माण में उनकी अहम भूमिका है। 18वीं लोकसभा चुनाव में भी वायुसेना ने अहम योगदान दिया है। चाहे युद्ध के मैदान की बात हो, या रेस्क्यू ऑपरेशन, भारतीय वायुसेना हमेशा एक कदम आगे रही है।

चुनावी तैयारियाँ और संचालन

लोकसभा चुनावों के दौरान भारतीय वायुसेना ने सात चरणों में से पांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान वायुसेना ने 1750 से अधिक सॉर्टी के दौरान 1000 घंटे से अधिक की उड़ानें भरीं। वायुसेना ने इस टास्क को नोडल अधिकारियों के माध्यम से विभिन्न राज्यों के निर्वाचन आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्तों के साथ क्लोज कॉर्डिनेशन के जरिए पूरा किया।

चुनावों में वायुसेना का सहयोग

चुनावों के दौरान भारतीय सेना और बीएसएफ के हेलीकॉप्टरों को भी शामिल किया गया था। एयर वाइस मार्शल पद से रिटायर हो चुके मनमोहन बहादुर कहते हैं कि कोई भी चुनाव भारतीय वायुसेना के बिना पूरा होना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि चुनाव शुरू होने से महीनों पहले ही निर्वाचन आयोग ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर्स की व्यवस्था के लिए एयर हेडक्वॉर्टर में असिस्टेंट चीफ ऑफ एयर स्टाफ के साथ मीटिंग करता है।

हेलीकॉप्टरों और एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल

वायुसेना हैवी एयरक्राफ्ट जैसे सी-17, आईएल-76 के अलावा एमआई-17, एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव और चीता-चेतक जैसे हेलीकॉप्टरों का भी इस्तेमाल करती है। लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति में या पोलिंग पार्टी में किसी की तबीयत खराब होने पर एयरफोर्स ही मदद करती है। चुनाव खत्म होने के बाद सुरक्षा बलों को सुरक्षित पहुंचाना भी उनकी ही जिम्मेदारी होती है।

आगामी चुनावों में भूमिका

एयरफोर्स सूत्रों के मुताबिक लोकसभा-2024 के दौरान भारतीय वायुसेना के मीडियम लिफ्ट हेलीकॉप्टरों एमआई-17 वैरिएंट, लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों चेतक और स्वदेशी रूप से निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टरों (एएलएच) ध्रुव का इस्तेमाल पोलिंग पार्टियों लाने-ले जाने और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की एयरलिफ्टिंग के लिए किया गया।

दुर्गम क्षेत्रों में वायुसेना की मदद

एयर वाइस मार्शल बहादुर कहते हैं कि चुनाव आयोग के मुताबिक इस साल पहले चरण में ही भारतीय वायुसेना ने 439 सॉर्टी कीं, जिनमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में रहीं। यहां 850 पोलिंग अफसरों को नक्सल इलाकों में बने 206 पोलिंग बूथों तक पहुंचाया और लाया गया। छत्तीसगढ़ के नक्सली हिंसा से प्रभावित बस्तर इलाके में 156 पोलिंग स्टेशंस पर 1000 कर्मियों की तैनाती की गई थी।

उन्होंने कहा कि दुर्गम स्थानों तक भारतीय वायुसेना की मदद से ही पहुंचा जा सकता है। कभी आपने सुना है कि 14,000 फीट पर लद्दाख की पहाड़ियों में दुर्गम जगह पर बने पोलिंग बूथ पर कोई पोलिंग पार्टी नहीं पहुंची, इसलिए मतदान नहीं हो पाया? नहीं सुना होगा, क्योंकि वायुसेना के लिए ड्यूटी सबसे पहले है।

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