ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से डगमगाया वैश्विक व्यापार, IMF-WTO की गंभीर चेतावनी!

क्या है मामला?

  • अमेरिका का औसत टैरिफ रेट बढ़कर 20.1% पहुंच चुका है – जो कि 1910 के बाद सबसे अधिक है।
  • IMF और WTO का कहना है कि ये फैसला वैश्विक व्यापार को दशकों पीछे ले जा सकता है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम ग्रेट डिप्रेशन 2.0 को जन्म दे सकता है।

इतिहास दोहरा रहा है खुद को… या खुद को नष्ट कर रहा है?

  • 1930: स्मूथ-हॉले टैरिफ एक्ट ने ग्रेट डिप्रेशन को और गहरा किया था।
  • 2025: ट्रंप की टैरिफ नीति इतिहास को फिर उसी मोड़ पर ले आई है।
  • फर्क बस इतना है – आज की दुनिया डिजिटल और इंटरकनेक्टेड है। असर कई गुना ज़्यादा होगा।

आंकड़ों की दुनिया:

वर्षअमेरिका का औसत टैरिफ रेट
1910~20%
2000~3%
2018~8-9% (ट्रंप का पहला कार्यकाल)
2020~3% (बाइडेन का रोलबैक)
202520.1% (रिकॉर्ड तोड़ स्तर)

कौन-कौन से गुड्स हुए प्रभावित?

  • स्टील, एल्युमिनियम, इलेक्ट्रॉनिक्स: 35% – 65% टैरिफ
  • भारत से इंपोर्टेड टेक्सटाइल्स: 60% तक टैरिफ
  • फार्मा, पेट्रोलियम, स्मार्टफोन्स: कोई टैरिफ नहीं – अमेरिका की चालाकी!

IMF और WTO क्यों हैं परेशान?

टैरिफ = टैक्स ऑन ट्रेड
इसका मतलब है – मंहगाई, मंदी और व्यापारिक युद्ध! ❞

प्रमुख चिंताएं:

  • 🌐 ग्लोबल ट्रेड रोलबैक: देशों के बीच व्यापार की जगह टकराव।
  • 📉 इकोनॉमिक स्लोडाउन: उपभोक्ता पर बोझ, मांग घटेगी, उत्पादन घटेगा।
  • 💣 जियोपॉलिटिकल टेंशन: पुराने सहयोगी अब विरोधी बन सकते हैं।

संभावित परिणाम: तीन बड़े सिनेरियो

विकल्पविवरण
🔥 एस्कलेशनहर देश जवाबी टैरिफ लगाएगा – व्यापार युद्ध
🤝 समझौताशायद बातचीत से कुछ समाधान निकले
🧱 ट्रेड ब्लॉक फ्रेगमेंटेशनदुनिया व्यापारिक गुटों में बंटेगी – USA को साइडलाइन

ट्रंप का तर्क – “बिलियन डॉलर आएंगे!”

“रात 12 बजे से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होंगे। जो देश हमें लूटते थे, अब पैसा लौटाएंगे।”
— डॉनल्ड ट्रंप, X (पूर्व ट्विटर) पर ट्वीट

सच्चाई?

टैरिफ का पैसा कौन देता है? अमेरिका का उपभोक्ता!
भारत से जो चीज़ $1000 में आती थी, अब वही $1500 में मिलेगी – तो $500 कौन देगा? अमेरिकन ही!

दुनिया की प्रतिक्रिया:

  • 🇨🇳 चीन: ASEAN, अफ्रीका में नए मार्केट्स तलाश रहा।
  • 🇮🇳 भारत: ब्रिक्स के साथ नया गठबंधन बनाने की तैयारी।
  • 🇧🇷 ब्राजील: पीएम मोदी से सीधे संपर्क में।
  • 🇪🇺 यूरोप, 🇬🇧 ब्रिटेन: खुलकर नाखुश ट्रंप की नीति से।

अमेरिका पर सीधा असर:

  • महंगाई बढ़ेगी: उपभोक्ता की जेब पर भारी असर।
  • एक्सपोर्ट ठप: अगर दूसरे देश भी टैरिफ लगाएं तो अमेरिकी माल नहीं बिकेगा।
  • मैन्युफैक्चरिंग धीमी: आयात पर टैरिफ से उत्पादन सेक्टर पर असर।

डब्ल्यूटीओ-आईएमएफ का अंतिम संदेश:

“ये मोड़ वैश्विक व्यापार के इतिहास में एक टर्निंग पॉइंट हो सकता है। दशकों की मेहनत को **पल भर में तबाह किया जा रहा है।”
— संयुक्त बयान

निष्कर्ष:

  • ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी एक तात्कालिक निर्णय नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए लंबी बीमारी का संकेत है।
  • इस नीति से न अमेरिका को लाभ होगा, न दुनिया को शांति।
  • अगले कुछ महीने तय करेंगे कि क्या दुनिया “ट्रेड वॉर” के अंधेरे में चली जाएगी, या “कूटनीति के उजाले” में लौटेगी।