मेरठ, उत्तर प्रदेश।
कल देर रात मेरठ से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। कश्मीर में तैनात भारतीय सेना का जवान कपिल छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौट रहा था। रास्ते में एक टोल प्लाज़ा पर ट्रैफिक जाम में फंसने पर उसने कर्मचारियों से निवेदन किया कि उसे जल्द निकलने दिया जाए ताकि समय पर ड्यूटी जॉइन कर सके।
लेकिन जवान की यह गुहार उसके लिए जानलेवा बन गई। टोल प्लाज़ा पर मौजूद गुंडा-तत्वों ने तालिबानी अंदाज में उसे पोल से पकड़कर बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। लात-घूंसे, लाठियाँ और घेराबंदी कर जवान को निर्ममता से पीटा गया। यह नजारा देखकर मौके पर मौजूद लोग भी स्तब्ध रह गए।
राष्ट्रभक्तों के बलिदान पर सवाल
भारत की आज़ादी के लिए आज़ाद हिन्द फौज और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, ताकि देश के हर नागरिक को सुरक्षा और सम्मान की ज़िंदगी मिल सके। लेकिन आज़ादी के 78 साल बाद भी यदि देश के जवान, जो सीमा पर हमारी रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करते हैं, खुद देश के अंदर असुरक्षित हो जाएँ—तो यह सवाल शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर खड़े होते हैं।
प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसी घटनाएँ देश की अस्मिता पर हमला हैं। सेना के जवानों पर हाथ उठाना पूरे देश का अपमान है। घटना के बाद प्रशासन और पुलिस पर तुरंत दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है।
👉 यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था की पोल खोलती है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि भारत की आज़ादी और शांति उन शूरवीरों के खून-पसीने से मिली है, जिनके बलिदान का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होना चाहिए।