सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर अंतरिम रोक का अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की उस विवादित धारा पर अस्थायी रोक लगा दी जिसमें किसी व्यक्ति को वक्फ से जुड़े पदों पर नियुक्ति या चुनाव के लिए कम से कम पाँच साल तक इस्लाम का पालन करने की शर्त रखी गई थी। अदालत ने साफ कहा कि जब तक केंद्र सरकार पात्रता तय करने के लिए विस्तृत नियम नहीं बनाती, यह प्रावधान लागू नहीं किया जा सकता।

मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने याचिकाओं की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि पूरे कानून को स्थगित करने की मांग फिलहाल स्वीकार नहीं की जाएगी। कोर्ट का कहना था कि अधिनियम के कई प्रावधान वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता से जुड़े हैं, जिन्हें रोकना उचित नहीं होगा। हालांकि, जिन धाराओं से नागरिक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है, उन पर अंतरिम सुरक्षा दी जानी जरूरी है।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि पाँच साल तक इस्लाम का पालन करने की शर्त संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) के खिलाफ है। उनका कहना था कि यह प्रावधान उन लोगों को वक्फ बोर्ड से बाहर कर सकता है जो इस्लाम स्वीकार कर चुके हैं लेकिन पाँच साल पूरे नहीं हुए हैं।

केंद्र सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया कि पात्रता से जुड़े नियम जल्द तैयार किए जाएंगे ताकि चयन प्रक्रिया में किसी तरह का भेदभाव या भ्रम न रहे। कोर्ट ने सरकार को इस दिशा में तेजी से कदम उठाने का निर्देश दिया है।

यह फैसला फिलहाल उन सभी नियुक्तियों और चुनावों पर असर डालेगा जहां इस शर्त को लागू किया जाना था। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में केंद्र द्वारा बनाए जाने वाले नियम ही आगे की तस्वीर तय करेंगे।