एआई से विकसित भारत की दिशा में बड़ा कदम

नई दिल्ली में 15 सितंबर 2025 को केंद्र सरकार ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को राष्ट्रीय विकास की धुरी बनाने की दिशा में अहम पहल की। नीति आयोग की ओर से “AI for Viksit Bharat” रोडमैप और फ्रंटियर टेक रिपॉज़िटरी की शुरुआत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में की गई।

इस रोडमैप का लक्ष्य एआई को ऐसे क्षेत्रों में उतारना है, जिनसे देश की अर्थव्यवस्था को तेज़ गति मिल सके। वित्तीय सेवाओं, विनिर्माण, शहरी योजना, कृषि और स्वास्थ्य जैसे सेक्टरों में एआई के इस्तेमाल से सरकार ने सालाना 8 प्रतिशत से अधिक आर्थिक वृद्धि का अनुमान जताया है। अनुमान है कि इस रणनीति से 2035 तक भारत की जीडीपी में 500 से 600 अरब डॉलर तक की बढ़ोतरी संभव है। यह योजना 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करेगी।

कार्यक्रम के दौरान मंत्रियों ने कहा कि एआई जैसी उन्नत तकनीकें अवसरों के साथ नई चुनौतियां भी लाती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि नियामक ढांचा समय पर बने और लगातार अपडेट होता रहे, ताकि नवाचार को बढ़ावा देते हुए नौकरियों पर नकारात्मक असर को कम किया जा सके। वित्त मंत्री सीतारमण ने इस मौके पर कहा कि भारत को तकनीक अपनाने में पीछे नहीं रहना चाहिए, लेकिन इसके नैतिक और सामाजिक पहलुओं पर बराबर ध्यान देना भी जरूरी है।

फ्रंटियर टेक रिपॉज़िटरी को ऐसे प्लेटफ़ॉर्म के रूप में पेश किया गया है, जहां देशभर में चल रहे सफल एआई प्रोजेक्ट्स को साझा किया जाएगा। इससे राज्यों और निजी क्षेत्र को तैयार मॉडल और डाटा सेट उपलब्ध होंगे, जिन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में अपनाकर बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकेगा। नीति आयोग का मानना है कि इस साझा संसाधन से स्टार्टअप्स, शोध संस्थान और उद्योग तेजी से प्रयोग कर पाएंगे और बेहतर समाधान तक पहुंचेंगे।

सरकार का दावा है कि यह पहल न केवल नई नौकरियों और निवेश को बढ़ावा देगी बल्कि भारत को उभरती प्रौद्योगिकियों में वैश्विक नेतृत्व देने में मदद करेगी। अब निगाहें इस बात पर हैं कि आने वाले महीनों में यह रोडमैप जमीनी स्तर पर किस तरह लागू होता है और किस तेजी से देश की आर्थिक रफ्तार को नई दिशा देता है।