“रेल नीर सस्ता, पर सही दाम मिलने पर यात्रियों की नजर”

भारतीय रेलवे ने एक ऐसा कदम उठाया है जिससे यात्रियों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। 22 सितंबर 2025 से रेल नीर और अन्य स्वीकृत पैकेज्ड वाटर ब्रांड्स की कीमतें घटा दी गई हैं। अब एक लीटर की बोतल 14 रुपये और आधा लीटर 9 रुपये में उपलब्ध होगी। रेलवे का कहना है कि जीएसटी सुधारों के बाद पैकिंग और परिवहन की लागत कम हुई है, और इसी बचत को यात्रियों तक पहुंचाने के लिए यह फैसला लिया गया।

यह सुनते ही कई यात्रियों ने राहत की सांस ली। रोज़ सफर करने वालों के लिए यह कटौती छोटी जरूर लग सकती है, लेकिन बार-बार बोतल खरीदने वालों के लिए यह बचत मायने रखती है। दिल्ली से पटना जाने वाली सीमा देवी कहती हैं, “ट्रेन में पानी सबसे जरूरी है। अगर वाकई 14 रुपये में बोतल मिलेगी तो सफर थोड़ा आसान लगेगा।” इसी तरह कोलकाता के आईटी प्रोफेशनल राजीव का कहना है, “सरकार ने अच्छा किया, पर असली टेस्ट तो प्लेटफॉर्म पर होगा। कई बार 20 रुपये देकर भी बोतल लेनी पड़ती है।”

यही चिंता सबसे बड़ी है। तय रेट होने के बावजूद प्लेटफॉर्म और ट्रेनों में मनमानी वसूली कोई नई बात नहीं है। यात्रियों का कहना है कि कीमतें घटाने से ज्यादा जरूरी है कि नए रेट की सख्ती से निगरानी हो। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पहले भी एमआरपी छापी बोतलें ज्यादा दाम में बिकती रही हैं, और शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती।

रेलवे अधिकारियों ने दावा किया है कि वे इस बार चेकिंग को और कड़ा करेंगे। जो विक्रेता तय कीमत से ज्यादा वसूलेंगे उन पर जुर्माना लगेगा और लाइसेंस रद्द किया जाएगा। लेकिन यात्रियों का अनुभव कहता है कि कागज़ी नियमों से ज्यादा फर्क तभी पड़ेगा जब प्लेटफॉर्म और कोच में नियमित जांच और फौरन कार्रवाई दिखे।

इस फैसले में उम्मीद और संदेह दोनों हैं। कीमत कम होना स्वागत योग्य है, पर लोगों का भरोसा तभी पक्का होगा जब अगली बार ट्रेन में पानी मांगते वक्त वाकई 14 रुपये की बोतल हाथ में मिले और “बढ़े हुए रेट” का बहाना सुनने को न मिले।