“बगराम पर अमेरिकी दबाव, तालिबान का जवाब: ‘20 साल और लड़ेंगे’”

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से बगराम एयरबेस लौटाने की खुली मांग की है। ट्रम्प का कहना है कि यह एयरबेस चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। यह वही बगराम है, जिसे सोवियत संघ ने 1950 के दशक में बनाया था और जिसे अमेरिका ने अपने 20 साल के युद्ध के दौरान और बड़ा किया।

ट्रम्प ने दावा किया कि 2021 में अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद चीन ने अफगानिस्तान और आस-पास के इलाकों में अपना दबदबा बढ़ा लिया है। उनका तर्क है कि बगराम जैसे ठिकाने पर अमेरिकी उपस्थिति ही चीन को सीमित कर सकती है।

तालिबान ने इस मांग को तुरंत खारिज कर दिया। रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान अपनी जमीन किसी विदेशी ताकत को नहीं सौंपेगा और ज़रूरत पड़ी तो बीस साल तक लड़ने को तैयार है। उनका कहना है कि बगराम अब अफगान संप्रभुता का प्रतीक है और किसी सौदेबाजी का हिस्सा नहीं बन सकता।

यह टकराव उस पुराने विवाद को फिर से जगा रहा है, जो 2021 की अमेरिकी वापसी के साथ खत्म होता दिख रहा था। तब ट्रम्प ही वह नेता थे जिन्होंने तालिबान से समझौता कर अमेरिकी सेनाओं की वापसी का रास्ता बनाया था। अब वही बगराम को वापस मांग रहे हैं, जिससे वाशिंगटन और काबुल के रिश्तों में नई खटास साफ दिख रही है।