इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: फर्जी धर्मांतरण के आधार पर शादी अमान्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 सितंबर 2025 को एक अहम निर्णय देते हुए कहा कि अवैध या धोखाधड़ी से किए गए धार्मिक धर्मांतरण के आधार पर हुई शादी भारतीय कानून में मान्य नहीं है। कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे मामलों में विवाह को वैध नहीं माना जा सकता।

यह मामला उत्तर प्रदेश के मोहम्मद बिन कासिम और जैनब परवीन नामक दंपती से जुड़ा है। दोनों मूल रूप से हिंदू हैं और 2023 में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी का दावा कर रहे थे। कोर्ट की जांच में पाया गया कि उनका धर्मांतरण प्रमाणपत्र कथित तौर पर फर्जी है।

न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने इस शादी को अवैध घोषित करते हुए कहा कि यदि यह जोड़ा साथ रहना चाहता है तो उन्हें विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) के तहत दोबारा शादी करनी होगी। साथ ही अदालत ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह उत्तर प्रदेश धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 के तहत इस कथित फर्जी प्रमाणपत्र की जांच करे।

इस फैसले को ऐसे समय में अहम माना जा रहा है जब उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर कानून पहले से ही कड़ा है। अदालत ने अपने आदेश से साफ कर दिया कि केवल धार्मिक पहचान बदलने के नाम पर कानून को दरकिनार करके शादी को मान्यता नहीं मिल सकती।