नवरात्रि के नौ दिन शक्ति उपासना और आत्मिक शुद्धि का विशेष समय माने जाते हैं। पर बहुत से लोग कामकाज, स्वास्थ्य या अन्य कारणों से लगातार नौ दिन उपवास नहीं रख पाते। शास्त्रों में ऐसे भक्तों के लिए एक सरल उपाय बताया गया है। मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति नवरात्रि के अंतिम तीन दिन—सप्तमी, अष्टमी और नवमी—पर व्रत रखकर विधि-विधान से देवी माँ की पूजा करे तो उसे पूरे नौ दिन के व्रत का समान पुण्य प्राप्त होता है।
इन तीन दिनों में उपवास के साथ शक्ति साधना, मंत्र जप, हवन और कन्या पूजन का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इन दिनों की साधना मन को पवित्र करती है, नकारात्मक विचारों को दूर करती है और आत्मविश्वास को बढ़ाती है।
यह परंपरा उन लोगों के लिए खास सहूलियत देती है जो समय या परिस्थितियों के कारण पूरा व्रत नहीं निभा पाते, फिर भी नवरात्रि की कृपा और आध्यात्मिक अनुभव से जुड़ना चाहते हैं। सप्तमी से नवमी तक ध्यान, भजन और जप के साथ देवी की आराधना करने से साधक को शक्ति, शांति और नई ऊर्जा का अनुभव होता है।