गोवर्धन पूजा 2025: जानें कब है गोवर्धन पूजा, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूरी विधि

दीपावली की रौशनी और उल्लास के बाद आता है गोवर्धन पूजा का पर्व — जो भक्ति, कृतज्ञता और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्रदेव के घमंड को चूर करने और ब्रजवासियों की रक्षा करने की स्मृति में मनाया जाता है। इसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

गोवर्धन पूजा 2025 की तारीख और मुहूर्त

तारीख: 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
दिन: दिवाली के अगले दिन

सुबह का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:30 बजे से 08:47 बजे तक

सायंकालीन शुभ मुहूर्त: शाम 03:36 बजे से 05:52 बजे तक

इन दोनों में से किसी भी मुहूर्त में श्रद्धा और विधि से पूजा करना अत्यंत शुभ फलदायक माना गया है।

गोवर्धन पूजा का महत्व

पुराणों के अनुसार, जब ब्रजवासियों ने श्रीकृष्ण के कहने पर इंद्रदेव की पूजा बंद कर दी और गोवर्धन पर्वत की आराधना की, तब इंद्र क्रोधित होकर मूसलधार वर्षा करने लगे। उस समय श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की।
इस दिन को प्रकृति की पूजा, पशुधन के सम्मान और अहंकार पर विनम्रता की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा विधि (Puja Vidhi)

गोवर्धन पूजा सुबह या शाम, दोनों में से किसी भी समय की जा सकती है।
पूजा के प्रमुख चरण इस प्रकार हैं 👇

गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं — यह पर्वत का प्रतीक होता है।

आकृति को फूलों, रोली, अक्षत, धूप-दीप और रंगोली से सजाएं।

दीपक में दही, शहद, दूध, गंगाजल और बताशे डालें।

जल का लोटा लेकर सात बार गोवर्धन की परिक्रमा करें।

गाय, बैल और पशुधन की पूजा करें — यह दिन उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है।

पूजन सामग्री (Samagri List)

रोली, अक्षत, पुष्प, दीपक

गोबर (गोवर्धन आकृति हेतु)

दही, शहद, दूध, बताशे

नैवेद्य, खीर, गंगाजल, कलश

गोवर्धन पर्वत या श्रीकृष्ण की तस्वीर

रंगोली सामग्री, धूप, केसर, फूलों की माला

गोवर्धन पूजा का संदेश

गोवर्धन पूजा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह धरती, जल, अन्न और पशुधन के प्रति कृतज्ञता का पर्व है।
यह हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति केवल देवताओं की पूजा में नहीं, बल्कि प्रकृति और जीव-जंतुओं के सम्मान में भी निहित है।