भारत की डेटा सेंटर क्षमता 2025 में 1.5 गीगावाट के पार

भारत की डेटा सेंटर कैपेसिटी 2025 के पहले नौ महीनों में पहली बार 1.5 गीगावाट के आंकड़े को पार कर गई है। बुधवार को जारी सीबीआरई साउथ एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष जनवरी से सितंबर तक 260 मेगावाट की नई सप्लाई जुड़ी है।

रिपोर्ट में बताया गया कि तेजी से बढ़ते डिजिटलीकरण, सरकारी नीतियों में सुधार और एआई में निवेश की वजह से यह उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है।

मुंबई 1,530 मेगावाट की क्षमता और 53% शेयर के साथ देश का सबसे बड़ा डेटा सेंटर हब बना हुआ है। सबमरीन केबल्स के लिए प्रमुख एंट्री लोकेशन होने के कारण मुंबई की यह हिस्सेदारी बनी है।

इसके बाद चेन्नई (20%), दिल्ली-एनसीआर (10%) और बेंगलुरु (7%) का स्थान रहा। इन चारों शहरों ने मिलकर देश की कुल डेटा सेंटर क्षमता में 90% योगदान दिया।

सीबीआरई के चेयरमैन और सीईओ अंशुमान मैगजीन ने कहा कि भारत के डेटा सेंटर सेक्टर में पिछले चार-पांच वर्षों में तीव्र वृद्धि देखी गई है, जो देश के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को दर्शाता है।

उन्होंने बताया कि बढ़ता इंटरनेट पेनिट्रेशन, क्लाउड अडॉप्शन, एआई और आईओटी इस वृद्धि के प्रमुख कारक हैं, जिससे मजबूत डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग लगातार बढ़ रही है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत कम निर्माण और बिजली लागत के चलते दुनिया का सबसे लागत-प्रतिस्पर्धी डेटा सेंटर वातावरण पेश करता है। सिंगापुर, चीन और जापान की तुलना में भारत में ऑपरेशन सस्ता है।

भारत के पास 6 लाख एआई प्रोफेशनल्स का बड़ा टैलेंट पूल मौजूद है, जो ग्लोबल एआई वर्कफोर्स का 16% है — और यह 2027 तक दोगुना होने की संभावना है।

सीबीआरई रिपोर्ट ने बताया कि 2019 से अब तक भारत ने 94 अरब डॉलर के डेटा सेंटर निवेश आकर्षित किए हैं, जिनमें तेलंगाना, महाराष्ट्र और तमिलनाडु शीर्ष डेस्टिनेशन हैं। 2025 के पहले नौ महीनों में ही 30 अरब डॉलर के नए निवेश कमिटमेंट प्राप्त हुए हैं।