नई दिल्ली — प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड (JIL) के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौड़ को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला घर खरीदारों के पैसों की कथित हेराफेरी से जुड़ा है।
ईडी ने मई 2025 में मनोज गौड़ और उनकी कंपनियों के 15 परिसरों पर छापेमारी की थी, जिसमें जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) और अन्य ग्रुप कंपनियाँ शामिल थीं।
अधिकारियों ने इस दौरान 1.7 करोड़ रुपए नकद, वित्तीय रिकॉर्ड, डिजिटल डेटा और संपत्ति दस्तावेज जब्त किए थे।
ये छापे धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दिल्ली, मुंबई, नोएडा और गाजियाबाद में मारे गए।
जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड पर आईडीबीआई बैंक का ₹526 करोड़ से अधिक बकाया था, जिसके बाद बैंक ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) इलाहाबाद में याचिका दायर की थी। 9 अगस्त 2017 को NCLT ने कंपनी के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही शुरू की थी।
इस मामले में 21,000 से अधिक घर खरीदारों को प्रभावित बताया गया है — जो नोएडा की Wish Town परियोजना में फ्लैट बुक करने के बाद फंसे रह गए।
घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया, जिसके बाद इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) में संशोधन हुआ, जिससे घर खरीदारों को वित्तीय लेनदार (financial creditors) का दर्जा मिला और उन्हें वोटिंग अधिकार प्राप्त हुआ।
बाद में, कई दौर की बोली प्रक्रिया के बाद, राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (NCLAT) ने मई 2024 में ‘सुरक्षा ग्रुप’ की समाधान योजना को मंजूरी दी।
इस योजना के तहत, सुरक्षा ग्रुप को अधूरी परियोजनाओं को पूरा करना है और किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देना है।
