उत्तर प्रदेश सरकार ने किरायेदारी विवादों को कम करने और किरायेदारी अनुबंधों के पंजीकरण को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया है। सरकार ने किरायेदारी अनुबंध पर लगने वाले स्टांप शुल्क और निबंधन शुल्क को 90% तक कम करने का निर्णय लिया है। बुधवार को इसका शासनादेश जारी कर दिया गया।
अधिकारी मान रहे हैं कि इस बड़े फैसले के बाद अब प्रदेश में किरायेदारी अनुबंधों का पंजीकरण दस गुना तक बढ़ सकता है। फिलहाल मेरठ जिले में हर महीने सिर्फ 70–80 अनुबंध ही पंजीकृत होते हैं।
अब 10,000 नहीं, सिर्फ 1,000 रुपये में होगा एग्रीमेंट का पंजीकरण
सरकार के फैसले से किरायेदार और मकान मालिक दोनों को भारी राहत मिली है।
अब तक दो लाख रुपये वार्षिक किराया वाले एक साल के अनुबंध का पंजीकरण कराने में स्टांप शुल्क और निबंधन शुल्क मिलाकर 10,000 रुपये खर्च होते थे।
नई व्यवस्था के बाद यह शुल्क घटकर सिर्फ 1,000 रुपये रह गया है।
5 साल का अनुबंध:
30,000 रुपये → अब सिर्फ 3,000 रुपये
10 साल का अनुबंध:
40,000 रुपये → अब सिर्फ 4,000 रुपये
इसके अलावा 2–6 लाख वार्षिक किराया और 6–10 लाख वार्षिक किराया वाली श्रेणियों में भी शुल्क को पूर्व निर्धारित राशि का केवल 10% कर दिया गया है।
पंजीकरण संख्या दस गुना बढ़ने की उम्मीद
सहायक महानिरीक्षक निबंधन एवं सहायक आयुक्त स्टांप शर्मा नवीन कुमार एस ने कहा कि सरकार का यह फैसला बेहद प्रभावी है।
अब तक लोग भारी स्टांप शुल्क बचाने के लिए अनुबंध पंजीकृत नहीं कराते थे, लेकिन अब शुल्क बेहद कम हो जाने से बड़ी संख्या में लोग रजिस्ट्रेशन कराएंगे।
मेरठ जिले में हर महीने औसतन 70–80 अनुबंध रजिस्टर्ड होते हैं।
इस साल अक्टूबर तक 812 किरायेदारी अनुबंध पंजीकृत हो चुके हैं।
अब इस फैसले के बाद प्रतिमाह करीब 1,000 से अधिक अनुबंधों के पंजीकृत होने की उम्मीद है।
अधिकारियों के अनुसार इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि विभाग की स्टांप एवं निबंधन आय भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ जाएगी।
