कोंडामेश्वरी मंदिर, जहां भक्त जहरीले बिच्छुओं के साथ खेलते हैं

दक्षिण भारत में कई रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर हैं, जहां अलग-अलग मान्यताओं के कारण भक्त बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं। इन्हीं में से एक मंदिर कर्नाटक के यादगिरी जिले में स्थित है, जहां भक्त जहरीले बिच्छुओं के साथ खेलने के लिए मां के मंदिर में आते हैं।

भक्तों का विश्वास है कि ऐसा करने से देवी कोंडामयी प्रसन्न होती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मां कोंडामेश्वरी का यह मंदिर ‘बिच्छुओं की देवी’ के नाम से प्रसिद्ध है और नाग पंचमी के दिन यहां दूर-दूर से लोग विशेष पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।

मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन ही पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में बिच्छू अपने बिलों से बाहर आते हैं। स्थानीय लोग इस दिन को ‘बिच्छुओं का मेला’ भी कहते हैं। भक्त मंदिर में पूजा करने के बाद बिच्छुओं को अपने हाथों और शरीर पर चलाते हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से कोई भी बिच्छू डंक नहीं मारता।

ऐसा माना जाता है कि नाग पंचमी के दिन मां कोंडामयी एक दिन के लिए बिच्छुओं का सारा जहर अपने भीतर ले लेती हैं, जिसके कारण वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। हालांकि, बाकी दिनों में बिच्छू काटने पर खतरा बना रहता है।

हर साल इस अनोखे मेले को देखने और इसमें हिस्सा लेने के लिए हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। कोंडामेश्वरी मंदिर में बिच्छू की एक विशेष प्रतिमा भी स्थापित है, जिसकी पूजा नाग पंचमी के दिन की जाती है। भक्तों का मानना है कि यदि किसी को बिच्छू का जहर चढ़ जाए तो मंदिर में भंडारा कराने और मां की आराधना करने से जहर उतर जाता है।

इस क्षेत्र में बिच्छू काटने के बाद लोग अस्पताल या डॉक्टर के पास नहीं जाते, बल्कि हल्दी और जड़ी-बूटियों से बना पारंपरिक लेप लगाते हैं और मां कोंडामेश्वरी की पूजा कर स्वस्थ होने का विश्वास रखते हैं।