पिछले पांच वर्षों में नौ लाख से अधिक भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता

विदेश मंत्रालय ने संसद को जानकारी दी है कि पिछले पांच वर्षों में लगभग नौ लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह ने कहा कि सरकार भारतीय नागरिकता त्यागने वालों का वर्षवार रिकॉर्ड रखती है और आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार नागरिकता छोड़ने का रुझान लगातार बढ़ रहा है।

2020 से 2024 के बीच यह संख्या 85 हजार से बढ़कर दो लाख से अधिक प्रति वर्ष तक पहुंच गई, जबकि 2011 से 2019 के बीच 11.89 लाख भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ चुके थे। मंत्रालय के अनुसार विदेशी नागरिकता अपनाने की प्रवृत्ति में स्थिर वृद्धि देखी जा रही है।

मंत्री ने विदेश में रहने वाले भारतीयों की शिकायतों का ब्योरा भी साझा किया। 2024–25 में कुल 16,127 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें 11,195 शिकायतें ‘मदद’ पोर्टल और 4,932 मामले सीपीग्राम्स के माध्यम से प्राप्त हुए। इन शिकायतों में सबसे अधिक संकट से जुड़े मामले सऊदी अरब, यूएई, मलेशिया और अमेरिका से आए।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि शिकायतों के समाधान के लिए एक मजबूत और बहु-स्तरीय तंत्र संचालित किया जा रहा है, जिसमें आपातकालीन हेल्पलाइन, वॉक-इन सुविधा, सोशल मीडिया सहायता और 24×7 बहुभाषी सपोर्ट शामिल है।

मंत्री ने कहा कि अधिकतर मामलों का समाधान प्रत्यक्ष संवाद, नियोक्ताओं के साथ मध्यस्थता और स्थानीय अधिकारियों से समन्वय के जरिए तेजी से कर दिया जाता है। कुछ मामलों में देरी अधूरी जानकारी, नियोक्ताओं के सहयोग की कमी और अदालतों में लंबित प्रक्रियाओं के कारण होती है।

उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय दूतावास पैनल वकीलों और इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड के माध्यम से कानूनी सहायता प्रदान करते हैं, जबकि प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र और कांसुलर कैंप प्रवासी कामगारों की सुरक्षा और मार्गदर्शन को प्राथमिकता देते हैं।