केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने नोएडा में चल रहे एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है। यह नेटवर्क 2022 से अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाकर भारी रकम हड़प रहा था।
इस ऑपरेशन में सीबीआई को अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन से अहम इनपुट मिला था। इसी जानकारी के आधार पर भारत में कई जगहों पर एक साथ कार्रवाई की गई।
जांच में सामने आया कि यह गिरोह सोशल सिक्योरिटी नंबर का दुरुपयोग बता कर लोगों को डराता था। पीड़ितों को ड्रग डिलीवरी और मनी लॉन्ड्रिंग के गलत आरोपों में फंसाने की धमकी दी जाती थी।
घबराए हुए लोगों से गिरोह क्रिप्टोकरेंसी और विदेशी बैंक अकाउंट के जरिए पैसे ट्रांसफर करवा लेता था। अब तक यह नेटवर्क लगभग 8.5 मिलियन डॉलर की ठगी कर चुका था।
सीबीआई ने 9 दिसंबर को मामला दर्ज करते हुए दिल्ली, नोएडा और कोलकाता में एक साथ छापेमारी की। कई गैरकानूनी कॉल सेंटरों में साइबर-एनेबल्ड फाइनेंशियल क्राइम के सुबूत मिले।
नोएडा के कॉल सेंटर से छह मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें शुभम सिंह, डाल्टनलियन, जॉर्ज टी जमलियानलाल, सेमिनलेन हाओकिप, मंगखोलुन और रॉबर्ट थांगखानखुअल शामिल हैं।
छापेमारी के दौरान लगभग 1.88 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए। इसके साथ ही 34 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मिले जिनमें मोबाइल, लैपटॉप, हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव शामिल हैं।
इन डिवाइसों से ठगी से संबंधित अहम दस्तावेज और डिजिटल डेटा प्राप्त हुआ है। सीबीआई इन सभी सबूतों की तकनीकी जांच कर रही है।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि यह नेटवर्क कई देशों में फैला हुआ था। गिरोह टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड को अंजाम देता था।
सीबीआई इंटरपोल और अन्य विदेशी एजेंसियों की मदद से पैसे के ट्रांजेक्शन और नेटवर्क की बाकी कड़ियों का पता लगा रही है। आगे और कार्रवाई की तैयारी जारी है।
अधिकारियों का कहना है कि इस ऑपरेशन से साइबर फाइनेंशियल क्राइम के बड़े नेटवर्क पर रोक लगी है। गिरफ्तारियां नेटवर्क को निष्क्रिय करने में अहम साबित हुई हैं।
सीबीआई ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य केवल अपराधियों को पकड़ना नहीं है। एजेंसी ऐसे नेटवर्क को खत्म कर आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
