भारतीय तटरक्षक बल ने अपने बेड़े में पहला स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत समुद्र प्रताप शामिल कर लिया है, यह पोत समुद्री सुरक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार समुद्र प्रताप दो पोतों की परियोजना का पहला जहाज है, जिसे 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से तैयार किया गया है, यह आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल को मजबूती प्रदान करता है।
यह पोत 30 मिमी सीआरएन-91 गन और दो 12.7 मिमी रिमोट कंट्रोल गन जैसे आधुनिक हथियारों से लैस है, जिससे इसकी सुरक्षा और ऑपरेशनल क्षमता काफी बढ़ जाती है।
तकनीकी रूप से समुद्र प्रताप में इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम और ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम लगाया गया है, साथ ही इसमें उच्च क्षमता वाली बाहरी अग्निशमन प्रणाली भी मौजूद है।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह जहाज तेल रिसाव का पता लगाने में सक्षम है, इसके अलावा यह समुद्र के दूषित पानी से तेल अलग करने और गाढ़े तेल प्रदूषकों को हटाने का काम भी कर सकता है।
समुद्री प्रदूषण नियंत्रण के लिए इसमें ऑयल फिंगर प्रिंटिंग मशीन, रासायनिक पदार्थों का पता लगाने वाला जाइरो-स्टेबलाइज्ड डिटेक्टर और प्रदूषण विश्लेषण प्रयोगशाला जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं दी गई हैं।
114.5 मीटर लंबाई और 16.5 मीटर चौड़ाई वाला यह पोत भारतीय तटरक्षक बल का अब तक का सबसे बड़ा जहाज है, साथ ही यह पहला तटरक्षक पोत है जिसमें डायनेमिक पोजिशनिंग सिस्टम डीपी-1 लगाया गया है।
गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित समुद्र प्रताप को विशेष रूप से समुद्री प्रदूषण नियंत्रण और आपदा प्रतिक्रिया अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे तटरक्षक बल की क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
पोत के बेड़े में शामिल होने के अवसर पर डीआईजी वी. के. परमार, गोवा शिपयार्ड के सीएमडी ब्रजेश कुमार उपाध्याय और दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र प्रताप के शामिल होने से भारतीय तटरक्षक बल की समुद्री सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता को नई मजबूती मिली है।
