2025 की शुरुआत से अब तक चांदी ने निवेशकों को चौंकाने वाला रिटर्न दिया है, आंकड़ों के मुताबिक चांदी में करीब 158 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है, जिसने इसे सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली कीमती धातुओं में शामिल कर दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी को अगर इसमें जोड़ दिया जाए, तो घरेलू निवेशकों के लिए चांदी का कुल रिटर्न बढ़कर करीब 170 प्रतिशत तक पहुंच जाता है, जिससे इसकी चमक और बढ़ गई है।
एनालिस्ट्स के अनुसार चांदी की कीमतों में इस तेजी के पीछे कई मजबूत कारण हैं, जिनमें औद्योगिक मांग में उछाल, वैश्विक आपूर्ति की कमी और ईटीएफ में लगातार बढ़ता निवेश प्रमुख रूप से शामिल है।
इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा परियोजनाओं, सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री और डेटा सेंटर्स में चांदी के बढ़ते इस्तेमाल ने इसकी मांग को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है, जिससे बाजार में इसकी कीमतों को मजबूत सहारा मिला है।
वहीं अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती और आगे भी कटौती की उम्मीदों ने निवेशकों को कीमती धातुओं की ओर आकर्षित किया है, जिससे चांदी में सुरक्षित निवेश के तौर पर दिलचस्पी बढ़ी है।
डॉलर की कमजोरी और लगातार बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने भी चांदी की मांग को मजबूती दी है, रूस-यूक्रेन युद्ध, वेनेजुएला के तेल पर अमेरिकी कार्रवाई और वैश्विक अस्थिरता ने निवेशकों को कीमती धातुओं की ओर मोड़ा है।
घरेलू बाजार की बात करें तो एमसीएक्स में मार्च कॉन्ट्रैक्ट के तहत चांदी की कीमत 2,32,741 रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच चुकी है, जो इसके मजबूत ट्रेंड को दर्शाता है।
कई बाजार विश्लेषकों का मानना है कि अगर मौजूदा हालात बने रहे, तो आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत 100 डॉलर प्रति औंस तक भी पहुंच सकती है।
हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में चेतावनी भी दी गई है कि ज्यादा मूल्यांकन की स्थिति में ईटीएफ से निकासी या तांबे की कीमतों में गिरावट चांदी पर दबाव बना सकती है, लेकिन इसके बावजूद आउटलुक को लेकर धारणा सकारात्मक बनी हुई है।
