मन की बात: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार

लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संविधान में विश्वास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 111वें एपिसोड में कहा कि चुनाव में लोगों ने संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपना अटूट भरोसा जताया है। उन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद अपने पहले रेडियो प्रोग्राम में कहा, “मैंने कहा था, चुनाव नतीजों के बाद फिर मिलूंगा, उम्मीद करता हूं कि आप सब अच्छे होंगे। मैंने विदा लिया था, फिर मिलने के लिए। इस बीच मुझे आप लोगों के लाखों संदेश मिले। चुनाव के दौरान मन को छू लेने वाली कई खबरें आईं। 65 करोड़ लोगों ने चुनाव में वोट डाला।”

एक पेड़ अपने नाम पर जरूर लगाएं

पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि एक पेड़ अपने नाम पर जरूर लगाएं। उन्होंने कहा, “पेड़ लगाने से धरती मां की रक्षा होगी।” पीएम मोदी ने देशवासियों को धन्यवाद करते हुए कहा, “मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 2024 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।”

माँ और पर्यावरण पर विशेष अभियान

पीएम मोदी ने कहा, “मैं आपसे पूछूं कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे – “माँ”। हम सबके जीवन में ‘माँ’ का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। माँ हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर माँ अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री माँ का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है जिसे कोई चुका नहीं सकता। हम माँ को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है – ‘एक पेड़ माँ के नाम’। मैंने भी एक पेड़ अपनी माँ के नाम लगाया है।”

हूल दिवस का महत्व

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘हूल दिवस’ का जिक्र करते हुए कहा, “आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये 1855 में हुआ था। यानि ये 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी 2 साल पहले हुआ था। तब झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था।”

केरल के छाते: संस्कृति और परंपरा का प्रतीक

प्रधानमंत्री मोदी ने केरल में बनने वाले छातों का जिक्र करते हुए कहा, “मन की बात में आज मैं आपको एक खास तरह के छातों के बारे में बताना चाहता हूं। ये छाते तैयार होते हैं हमारे केरल में। वैसे तो केरल की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है। छाते वहां कई परंपराओं और विधि-विधान का अहम हिस्सा होते हैं। लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूं, वो हैं ‘कार्थुम्बी छाते’ और इन्हें तैयार किया जाता है केरल के अट्टापडी में। इन रंग-बिरंगे छातों को केरल की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं। आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही है। इनकी ऑनलाइन बिक्री भी हो रही है। इन छातों को ‘वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी’ की देखरेख में बनाया जाता है। इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है।”

ओलंपिक खेल और भारतीय खिलाड़ियों का उत्साह

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को उम्मीद है कि उसके खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने लोगों से खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए ‘चीयर4भारत’ हैशटैग का इस्तेमाल करने का आग्रह किया। पीएम मोदी ने कहा, “आज दुनियाभर में हमारी संस्कृति का जिस तरह गौरवगान हो रहा है, उससे किस भारतीय को खुशी नहीं होगी।”

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