1 जुलाई 2024 से देश में नए आपराधिक कानून लागू हो चुके हैं। इस रिपोर्ट में हम इन बदलावों पर चर्चा करेंगे और समझेंगे कि ये हमारे कानून व्यवस्था को कैसे प्रभावित करेंगे। पिछले कानून जैसे भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलकर नए कानून लाए गए हैं, जो हैं: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम।
1. समुदाय सेवा की सजा
पहले हमारे कानून में चोरी, धोखाधड़ी आदि छोटे अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान था। लेकिन अब नए कानून के तहत, छोटे अपराधों के लिए समुदाय सेवा की सजा दी जाएगी। यह कदम छोटे अपराधियों को सुधारने का एक अवसर प्रदान करेगा, बजाय कि उन्हें जेल में डालने के।
2. सहमति से धोखे से यौन संबंध
नए कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया गया है जिसमें धोखे से सहमति प्राप्त कर यौन संबंध बनाने पर सजा दी जाएगी। इसमें दस साल तक की जेल और जुर्माना शामिल हो सकता है। यह प्रावधान उन मामलों के लिए है जहां धोखे से सहमति प्राप्त की जाती है, जैसे झूठे वादे करके।
3. संगठित अपराध
पहले आईपीसी में संगठित अपराध का प्रावधान नहीं था, लेकिन अब इसे नए कानून में शामिल किया गया है। इसमें साइबर क्राइम, मानव तस्करी, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी शामिल हैं। संगठित अपराध करने वाले गैंग्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
4. आतंकवादी गतिविधियों की परिभाषा
नए कानून में पहली बार आतंकवादी गतिविधियों की परिभाषा दी गई है। इसमें वे सभी कार्य शामिल होंगे जो देश की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा को खतरा पहुंचाते हैं। इसके तहत सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
5. सेडिशन (देशद्रोह)
124a की धारा, जिसे सेडिशन कहा जाता है, को नए कानून में हटा दिया गया है। हालांकि, सरकार ने इस तरह के अपराधों के लिए नया प्रावधान शामिल किया है, जिसमें देश की एकता और अखंडता के खिलाफ कार्य करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है।
6. अंडर ट्रायल्स के लिए राहत
नए कानून के तहत, अगर कोई आरोपी अपने मामले के ट्रायल के दौरान अपनी सजा का एक तिहाई समय जेल में बिता चुका है, तो उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है। इससे अंडर ट्रायल्स की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।
7. फॉरेंसिक अन्वेषण
सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के मामलों में फॉरेंसिक अन्वेषण अनिवार्य कर दिया गया है। फॉरेंसिक विशेषज्ञ क्राइम सीन पर जाकर सबूत एकत्र करेंगे और उन्हें रिकॉर्ड करेंगे। इससे जांच प्रक्रिया और भी सटीक और प्रमाणिक होगी।
8. प्रक्रिया की समय सीमा
नए कानून में प्रक्रियाओं के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। उदाहरण के लिए, रेप के मामलों में मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर प्रस्तुत करनी होगी। इसके अलावा, कोर्ट में चार्ज फ्रेम करने और जजमेंट देने के लिए भी समय सीमा निर्धारित की गई है।
9. न्यायालयों की हायरार्की
नए कानून में कोर्ट की हायरार्की में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन राज्य सरकार को अधिकार दिया गया है कि वे शहरों में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अपॉइंट कर सकते हैं जहां जनसंख्या 10 लाख से अधिक है।
10. साक्ष्य का महत्व
नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत, इलेक्ट्रॉनिक और सेकेंडरी साक्ष्य को भी मान्यता दी गई है। इससे कोर्ट में सबूत पेश करने में आसानी होगी, खासकर उन मामलों में जहां प्राथमिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं होते हैं।
निष्कर्ष
नए आपराधिक कानून देश की न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने का प्रयास करते हैं। ये बदलाव न केवल अपराधियों को सख्त सजा देने में मदद करेंगे, बल्कि सुधारात्मक न्याय की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होंगे। इन नए प्रावधानों से उम्मीद है कि न्याय प्रक्रिया तेज होगी और देश में कानून व्यवस्था को और मजबूत किया जा सकेगा।