स्वास्थ्य संकट: वायु प्रदूषण की वजह से हर साल हज़ारों मौतें

प्रमुख बिंदु:

  • लैंसेट रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 33,000 मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं।
  • दिल्ली और वाराणसी सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में शामिल हैं।
  • WHO के दिशा निर्देशों के अनुसार, भारत के वायु गुणवत्ता मानकों को सुधारने की आवश्यकता है।
  • सड़कों पर तेजी से दौड़ती मौटर गाड़ियां और फैक्ट्रियों से निकलने वाला काला धुआं वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।

रिपोर्ट का खुलासा

लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि भारत में हर साल खराब वायु गुणवत्ता की वजह से 33,000 लोगों की जान जा रही है। यह रिपोर्ट सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव, अशोका यूनिवर्सिटी, सेंटर फॉर क्रोनिक डिजीज कंट्रोल, स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट, हार्वर्ड और बोस्टन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने तैयार की है। रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण देश के 10 प्रमुख शहरों में हर साल हज़ारों मौतें होती हैं।

बढ़ता वायु प्रदूषण

जैसे-जैसे भारत आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे वायु प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। पेट्रोल-डीजल से निकलने वाले धुएं और फैक्ट्रियों से निकलने वाले काले धुएं की वजह से हवा जहरीली होती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, शिमला, चेन्नई और वाराणसी जैसे शहरों में वायु प्रदूषण की वजह से मौतों की संख्या काफी अधिक है।

दिल्ली और वाराणसी सबसे ज्यादा प्रभावित

रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली में हर साल 12,000 मौतें खराब हवा की वजह से होती हैं, जो देश में कुल मौतों का 11.5 प्रतिशत है। वाराणसी में भी हालात गंभीर हैं, जहां हर साल 830 लोगों की जान जाती है। मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में भी वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या चिंताजनक है।

स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों से पीछे

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के वायु गुणवत्ता मानक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा निर्देशों से काफी पीछे हैं। WHO के अनुसार, हवा में प्रति घन मीटर 15 माइक्रोग्राम से अधिक प्रदूषण नहीं होना चाहिए, लेकिन भारत के कई शहरों में यह स्तर काफी अधिक है। इसलिए, रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि भारत को अपने वायु गुणवत्ता मानकों को WHO के दिशा निर्देशों के अनुसार संशोधित करना चाहिए।

आवश्यक कदम

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को और अधिक कठोर बनाने की जरूरत है। इससे लोगों को प्रदूषित हवा के खतरों से बचाया जा सकेगा। पहाड़ी शहरों में भी वायु प्रदूषण का असर देखा जा रहा है, जैसे शिमला में, जहां हर साल 59 मौतें खराब हवा की वजह से होती हैं।

निष्कर्ष

यह रिपोर्ट एक गंभीर चेतावनी है कि यदि वायु प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में यह समस्या और भी विकराल हो सकती है। देश के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।

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