परिचय
यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) का सिविल सर्विसेस एग्जामिनेशन भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, और अन्य केंद्रीय सेवाओं में भर्ती के लिए आयोजित किया जाता है। यह परीक्षा तीन चरणों में आयोजित होती है: प्रारंभिक परीक्षा (प्रीलिम्स), मुख्य परीक्षा (मेंस), और व्यक्तिगत साक्षात्कार (इंटरव्यू)। हर वर्ष लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन केवल कुछ ही लोग इसे पास कर पाते हैं। इस वर्ष, 2023, का सिविल सर्विसेस एग्जामिनेशन चर्चा में रहा है, खासकर कट ऑफ को लेकर।
कट ऑफ और उसके प्रकार
कट ऑफ वह न्यूनतम अंक है, जिसे उम्मीदवारों को अगले चरण में पहुंचने के लिए प्राप्त करना होता है। यूपीएससी की कट ऑफ अलग-अलग कैटेगरी के लिए अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए:
- जनरल कैटेगरी: प्रीलिम्स में 200 अंकों में से 75.41 अंक।
- फिजिकली डिसेबल्ड (पीडब्ल्यूडी): प्रीलिम्स में 33.6 अंक।
मुख्य परीक्षा (मेंस) और साक्षात्कार के लिए भी इसी तरह की कट ऑफ होती है।
यूपीएससी की प्रक्रिया और विवाद
यूपीएससी की प्रक्रिया काफी पारदर्शी और सख्त मानी जाती है। हाल के वर्षों में, यूपीएससी के एग्जाम्स में किसी प्रकार की धांधली या पेपर लीक की घटनाएं नहीं देखी गई हैं। लेकिन 2023 में, एक आईएएस ट्रेनी ऑफिसर, पूजा खेडकर, के मामले ने कई सवाल खड़े किए हैं।
पूजा खेडकर का विवाद
पूजा खेडकर, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 821 हासिल की थी, के चयन पर विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने फिजिकली डिसेबल्ड और मेंटली इल का सर्टिफिकेट जमा किया था, जिसके आधार पर उन्हें कम कट ऑफ का लाभ मिला और आईएएस की पोस्ट मिल गई।
आरोप और जांच
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूजा खेडकर ने छह बार मेडिकल एग्जामिनेशन से मना किया। उन्हें कई बार एम्स दिल्ली और अन्य अस्पतालों में मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया, लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया। इसके अलावा, उन्होंने बाहर से एमआरआई रिपोर्ट जमा की, जिसे यूपीएससी ने रिजेक्ट कर दिया। बावजूद इसके, उन्हें आईएएस की पोस्ट मिल गई, जो जांच का विषय बन गया।
ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर का विवाद
इसके अलावा, पूजा खेडकर ने ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर का स्टेटस भी क्लेम किया, जबकि उनके पिता, जो पहले एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर रह चुके हैं, की संपत्ति 40 करोड़ है। यह भी जांच का विषय बना कि उन्हें इस स्टेटस का लाभ कैसे मिला।
प्रोबेशन पीरियड और पुणे विवाद
प्रोबेशन पीरियड के दौरान, पूजा खेडकर को पुणे में तैनात किया गया था। वहां, उन्होंने अपने पावर का गलत इस्तेमाल किया और कई डिमांड्स की, जिसकी वजह से उन्हें पुणे से वशीम ट्रांसफर कर दिया गया। इस मामले ने भी मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरीं।
निष्कर्ष
यह पूरा मामला यूपीएससी की सख्त प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है, लेकिन यह भी स्पष्ट करता है कि कहीं न कहीं लूप होल्स का फायदा उठाया गया है। यूपीएससी की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें। जांच एजेंसियों को इस मामले की गहनता से जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यह केवल एक परीक्षा नहीं है, बल्कि देश की प्रशासनिक व्यवस्था की नींव है, जिसे मजबूत और निष्पक्ष बनाए रखना आवश्यक है।
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