नीति आयोग शासी परिषद की बैठक में शामिल नहीं हुए 10 राज्यों के मुख्यमंत्री

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रमण्यम ने शनिवार को कहा कि शासी परिषद की बैठक में बिहार, केरल समेत 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल नहीं हुए। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की।

बैठक में 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और लेफ्टिनेंट गवर्नर और अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में गांवों में गरीबी को शून्य स्तर पर लाने यानी इससे पूरी तरह समाप्त करने के विचार पर गहन चर्चा हुई।

सुब्रमण्यम ने कहा कि बैठक में शामिल नहीं होने वालों में बिहार, केरल के अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुदुचेरी हैं।

सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘यह बैठक इस बात के लिए थी कि राज्यों के विकास को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है और उसमें कैसे योगदान दिया जा सकता है। अगर उन्होंने भाग नहीं लिया तो यह उनका नुकसान है।’’

सीईओ ने बैठक से बाहर चली गईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में कहा कि उन्होंने दोपहर के भोजन से पहले बोलने का अनुरोध किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया। हालांकि राज्यों के नाम के हिसाब से उनकी बारी दोपहर में आती।

सुब्रमण्यम ने कहा कि जब मुख्यमंत्री का समय समाप्त हुआ, तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बस माइक थपथपाया। इस पर उन्होंने बोलना बंद कर दिया और बाहर चली गईं। हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारी बैठक में शामिल हुए।

बिहार के बारे में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में विधानसभा सत्र में व्यस्त होने के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सके।

बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का जिक्र करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि वह चाहते हैं कि राज्य एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिए प्रतिस्पर्धा करें ताकि निवेश सभी राज्यों तक पहुंच सके। खासकर उन राज्यों तक जो कम सफल हैं।

बैठक में आबादी के प्रबंधन और गरीबी को शून्य स्तर पर लाने यानी उसे पूरी तरह से समाप्त करने के विचार पर भी चर्चा हुई।

सुब्रमण्यम के अनुसार प्रधानमंत्री चाहते हैं कि राज्य जिलों को मजबूत बनाने पर अधिक खर्च करें ताकि वे विकास को गति दे सकें।

प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के लिए प्राथमिकता के आधार पर गरीबी को खत्म करने का सुझाव दिया।

नीति आयोग के सीईओ के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘हमें गरीबी व्यक्तिगत आधार पर निपटने की जरूरत है।

सुब्रमण्यम के अनुसार उन्होंने कहा है कि आकलन के बाद गांवों को ‘गरीबी से मुक्त’ गांव घोषित किया जा सकता है।

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