!! ग्वालन की शिक्षा !!

एक बार एक ग्वालन दूध बेच रही थी और सबको दूध नाप नाप कर दे रही थी। उसी समय एक नौजवान दूध लेने आया तो ग्वालन ने बिना नापे ही उस नौजवान का बर्तन दूध से भर दिया।

वहीं थोड़ी दूर पर एक साधु हाथ में माला लेकर मनको को गिन गिन कर माला फेर रहा था। तभी उसकी नजर ग्वालन पर पड़ी और उसने ये सब देखा और पास ही बैठे व्यक्ति से सारी बात बताकर इसका कारण पूछा।

उस व्यक्ति ने बताया कि जिस नौजवान को उस ग्वालन ने बिना नाप के दूध दिया है वह उस नौजवान से प्रेम करती है। इसलिए उसने उसे बिना नाप के दूध दे दिया। यह बात साधु के दिल को छू गयी और उसने सोचा कि एक दूध बेचने वाली ग्वालन जिससे प्रेम करती है तो उसका हिसाब नहीं रखती और मैं अपने जिस ईश्वर से प्रेम करता हूँ, उसके लिए सुबह से शाम तक मनके गिनगिन कर माला फेरता हूँ। मुझसे तो अच्छी यह ग्वालन ही है और उसने माला तोड़कर फेंक दिया।

शिक्षा:-
जीवन भी ऐसा ही है। जहाँ प्रेम होता है वहाँ हिसाब किताब नहीं होता है और जहाँ हिसाब किताब होता है वहाँ प्रेम नहीं होता है, सिर्फ व्यापार होता है..!!

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