जर्मनी के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को यहां कहा कि भारत-जर्मनी के रिश्ते ‘‘जबरदस्त’’ विश्वास, मित्रता और साझा जिम्मेदारी पर आधारित हैं, जो दोनों देशों को दुनिया में योगदान देने के लिए एक साथ आगे लेकर आते हैं और चांसलर ओलाफ शोल्ज की आगामी यात्रा इसी के अनुरूप है।
भारत में जर्मन दूतावास में विकास सहयोग विभाग के प्रमुख उवे गहलेन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि ‘हैमबर्ग सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस’ अक्टूबर की शुरुआत में जर्मनी में होनी है, जिसमें भारत के सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र भाग लेंगे।
उन्होंने नयी दिल्ली में भारत मंडपम में हुए अंतरराष्ट्रीय सौर महोत्सव के इतर यह टिप्पणी की।
गहलेन ने शुक्रवार को ‘नवीनीकरण ऊर्जा क्रांति के वित्त पोषण’ पर चर्चा में हिस्सा लिया और भारत को 2030 तक अपने नवीनीकरण ऊर्जा के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद देने में जर्मनी की भूमिका के बारे में बात की।
बाद में ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में उन्होंने दोनों देशों के बीच हरित एवं सतत विकास साझेदारी (जीएसडीपी) में हुई प्रगति और अक्टूबर में चांसलर ओलाफ शोल्ज की आगामी यात्रा के महत्व के बारे में बात की।
गहलेन ने कहा, ‘‘परिणाम बहुत दिलचस्प रहे हैं। जीएसडीपी एक बहुत लंबे समय तक चलने वाली, पहले से मौजूद साझेदारी की बुनियाद पर बढ़ रही है। अब हमारे लिए प्रश्न यह है कि हम इसे कैसे प्रोत्साहित करें।’’
उन्होंने जर्मनी के चांसलर की आगामी यात्रा को लेकर काफी उत्साह जताया।
जर्मनी के चांसलर शोल्ज और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई 2022 में ‘जर्मन-भारतीय हरित एवं सतत विकास साझेदारी (जीएसडीपी)’ पर हस्ताक्षर किए थे, जो सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडे और पेरिस समझौते के उद्देश्यों की दिशा में विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
गहलेन ने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि हमारा रिश्ता जबरदस्त विश्वास, मित्रता और साझा जिम्मेदारी पर आधारित है… जो दोनों देशों को आगे लेकर आता है तथा दुनिया में भी योगदान दे रहा है।’’
शोल्ज का द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही मोदी से व्यापक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अक्टूबर में भारत की यात्रा करने का कार्यक्रम है।