लाल सागर संकट, लॉजिस्टिक चुनौतियों के कारण भारत का निर्यात प्रभावित: विशेषज्ञ

लाल सागर संकट और लॉजिस्टिक की चुनौतियों ने अगस्त में देश के निर्यात को बुरी तरह प्रभावित किया है। निर्यातकों और विशेषज्ञों ने यह कहा।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने में निर्यात में 9.3 प्रतिशत की गिरावट आई है।

शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि अगस्त में पेट्रोलियम उत्पाद का निर्यात 37.56 प्रतिशत घटकर 5.95 अरब डॉलर रह जाना, लाल सागर में चल रहे व्यवधानों से जुड़ा है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘इस गिरावट ने भारत के समग्र वस्तु व्यापार को काफी प्रभावित किया है, जिससे पिछले वर्ष की तुलना में अगस्त 2024 में निर्यात में 9.33 प्रतिशत की कमी आई है।’

उन्होंने कहा कि इन दो अवधियों के बीच कच्चे तेल की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रहीं। यह बताता है कि पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात में गिरावट लाल सागर संकट से जुड़ी है।

इस संकट ने जहाजों को हॉर्न ऑफ अफ्रीका और केप ऑफ गुड होप के लंबे रास्ते अपनाने के लिए मजबूर किया है, जिससे यूरोप को निर्यात कम लाभकारी रह गया है।

निर्यातकों के शीर्ष निकाय फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि निर्यात में तेज गिरावट निरंतर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ-साथ जिंसों की कीमतों में कमी और लॉजिस्टिक चुनौतियों के बीच आई है।

उन्होंने कहा, ‘कच्चे तेल और धातु की कीमतों में गिरावट के साथ-साथ चल रहे अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवधानों ने भी निर्यात में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है…।’’

कुमार ने कहा कि नकदी के मोर्चे पर ब्याज सहायता और कम से कम पांच वर्षों के लिए ब्याज सामान्यीकरण योजना (आईईएस) के विस्तार की तत्काल आवश्यकता है। इससे निर्यातकों के लिए एक बेहतर कारोबारी माहौल तैयार हो सकेगा।

उन्होंने कहा, ‘सरकार को 30 सितंबर को समाप्त हो रही आरओडीटीईपी (निर्यात उत्पादों पर शुल्क या कर में छूट) योजना का विस्तार करना चाहिए ताकि निर्यातकों को आगे की योजना बनाने में आसानी हो।’’

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