भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए ऋण स्थिरता सुनिश्चित करने और उसे ऋण जाल से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार की खातिर ठोस वैश्विक प्रयास का आह्वान किया है, जो कई संकटों से प्रभावित है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ‘अनिश्चित दुनिया में लचीलापन और विकास को बढ़ावा देने’ विषय पर मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया कि किस प्रकार विकास लाभ पटरी से उतर गए हैं, जिससे सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में प्रगति को खतरा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऋण स्थिरता सुनिश्चित करने और ऋण जाल को रोकने, किफायती वित्त तक पहुंच मुहैया कराने और वैश्विक व्यापार एवं निवेश प्रवाह में असमानताओं को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार की खातिर ठोस वैश्विक प्रयास की आवश्यकता है।’
हरीश ने सबसे संवदेनशील लोगों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘महिलाओं एवं युवाओं को सशक्त बनाना लचीले समाज के निर्माण की कुंजी है।’
उन्होंने डिजिटल प्रौद्योगिकी के लाभ सहित भारत की विभिन्न उपलब्धियों को रेखांकित किया और बताया कि किस प्रकार इसे विकासशील दुनिया के लिए दोहराया जा सकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों को भी सूचीबद्ध किया।