वनों की कटाई के चलते मूल रूप से न्यूजीलैंड में पायी जाने वाली ‘स्टोनफ्लाई’ का रंग संभवत: बदल गया है जो मनुष्यों द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारण वन्य प्राणियों में आए बदलाव को दर्शाता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आयी है।
यह अध्ययन पत्रिका ‘साइंस’ में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के सह-लेखक और ओटागा विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विज्ञान के जॉन वाल्टर्स ने कहा, ‘‘प्राकृतिक वन क्षेत्रों में, एक देसी प्रजाति ने ‘चेतावनी’ वाले रंग विकसित किए हैं जो जहरीली वन प्रजातियों से मिलते-जुलते हैं ताकि शिकारियों को यह सोचने पर मजबूर किया जा सके कि वे भी जहरीले हैं।’’
वाल्टर्स ने कहा, ‘‘लेकिन इंसानों के आने के बाद से जंगलों की कटाई से जहरीली प्रजातियां खत्म हो गई हैं। इसके परिणामस्वरूप, वनों की कटाई वाले क्षेत्रों में किसी अन्य प्राणी की तरह अपने आप को ढालने वाली प्रजातियों ने इस रणनीति को छोड़ दिया है – क्योंकि नकल करने के लिए कुछ भी नहीं है – बल्कि वे अब एक अलग रंग में विकसित हो रही हैं।’’
ब्रिटेन में 1800 के दशक में औद्योगिक प्रदूषण के कारण पतंगों का रंग बदलना इस प्रवृत्ति को दर्शाने का सबसे अच्छा उदाहरण माना जाता है।
ओटागो विश्वविद्यालय के सह-लेखक ग्राहम मैकुलोच ने कहा कि मनुष्यों ने लाखों वर्षों में विकसित हुई प्रजातियों के बीच पारिस्थितिक संपर्क को बाधित कर दिया है, लेकिन हमारी कुछ मूल प्रजातियां इस पर काबू पाने के लिए पर्याप्त रूप से लचीली हैं।
मैकुलोच ने कहा, ‘‘यह अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि कम से कम हमारी कुछ मूल प्रजातियों में मनुष्यों के कारण आए पर्यावरणीय बदलावों के अनुसार अपने आप को ढालने की क्षमता है।’’