नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर ग्रीनहाउस गैस का स्तर 2023 में एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया जिसमें पिछले केवल दो दशकों में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की एक नयी रिपोर्ट से यह जानकारी मिली।
डब्ल्यूएमओ के वार्षिक ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन के अनुसार, 2023 के दौरान, बड़े पैमाने पर वनस्पतियों को जलाए जाने से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन तथा वनों द्वारा कार्बन अवशोषण में संभावित कमी के साथ-साथ मानव और औद्योगिक गतिविधियों से इसमें वृद्धि हुई। जीवाश्म ईंधनों द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड के अत्यधिक उच्च स्तर के कारण भी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि हुई।
वर्ष 2023 में कार्बन डाइऑक्साइड की वैश्विक औसत सतह सांद्रता 420 भाग प्रति मिलियन (पीपीएम), मीथेन 1934 भाग प्रति बिलियन और नाइट्रस ऑक्साइड 336.9 भाग प्रति बिलियन (पीपीबी) तक पहुंच गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये आंकड़े पूर्व-औद्योगिक (1750 से पहले) के स्तर के 151 प्रतिशत, 265 प्रतिशत और 125 प्रतिशत हैं। इनकी गणना ‘ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच नेटवर्क’ के निगरानी स्टेशन के भीतर दीर्घकालिक अवलोकनों के आधार पर की गई है।
डब्ल्यूएमओ की महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा, ‘‘साल दर साल नया रिकॉर्ड बन रहा है। इससे निर्णय लेने वालों को सतर्क हो जाना चाहिए। हम ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने और पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर रखने के पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा करने से दूर हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं। प्रति मिलियन हर भाग और एक डिग्री तापमान वृद्धि का हर अंश हमारे जीवन और हमारे ग्रह पर वास्तविक प्रभाव डालता है।’’
वर्ष 2023 में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि 2022 की तुलना में अधिक थी। हालांकि उससे पहले के तीन वर्षों की तुलना में कम थी।
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 20 वर्षों में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर डब्ल्यूएमओ के निगरानी स्टेशन के ‘ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच नेटवर्क’ द्वारा 2004 में दर्ज किये गए 377.1 पीपीएम के स्तर से 11.4 प्रतिशत (42.9 पीपीएम) अधिक हो गया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि उत्सर्जन जारी रहने से ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में जमा होती रहेंगी जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होगी। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के बेहद लंबे समय तक कायम रहने से तापमान स्तर कई दशकों तक बना रहेगा, भले ही उत्सर्जन को तेजी से घटाकर शून्य कर दिया जाए।