बम की सूचना की जांच के लिए भू-राजनीतिक विश्लेषण, वीआईपी के सवार होने जैसे मानदंडों को ध्यान में रखा जायेगा


नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर ​भारतीय विमानों में बम रखे होने की सूचनाओं की गंभीरता पर विचार करते समय एजेंसियां सोशल मीडिया हैंडल का नाम, भू-राजनीतिक स्थिति का विश्लेषण और विमान में वीआईपी की उपस्थिति जैसे मानदंडों को ध्यान में रखेंगी।

नागरिक विमानन सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के लिए नए दिशा-निर्देश नागरिक उड्डयन ब्यूरो (बीसीएएस) द्वारा जारी किए गए हैं। ये दिशा-निर्देश ‘‘उभरती सुरक्षा चुनौतियों’’ विशेषकर विभिन्न सोशल मीडिया मंचों के जरिये विमानों में बम रखे होने की फर्जी सूचनाएं फैलाने की बढ़ती प्रवृत्ति के मद्देनजर जारी किए गए हैं।

पिछले दो सप्ताह में 510 से ज्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में बम रखे होने की सूचनाएं मिली हैं, जो बाद में झूठी साबित हुईं। ये ज्यादातर सूचनाएं सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर गुमनाम हैंडल से दी गईं। इससे एयरलाइन को परिचालन और वित्तीय परेशानी का सामना करना पड़ा है।

वर्तमान कार्यप्रणाली के अनुसार किसी एयरलाइन, हवाई अड्डे या विमानन संबंधी तंत्र के किसी भी भाग को लेकर जारी बम या सुरक्षा खतरे का विश्लेषण करने के लिए हवाई अड्डे पर बम खतरा आकलन समिति (बीटीएसी) की बैठक बुलाई जाती है, जो इसे “विशिष्ट” या गंभीर या “अविशिष्ट” या अफवाह घोषित करने का निर्णय लेती है।

समिति में बीसीएएस, सीआईएसएफ, स्थानीय पुलिस, हवाई अड्डा संचालक और एयरलाइन अधिकारी तथा कुछ अन्य एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

बीटीएसी 2014 की बम खतरा आकस्मिक योजना (बीटीसीपी) का हिस्सा है, जिसे नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारतीय विमानन क्षेत्र, इसकी परिसंपत्तियों और मानव संसाधनों के लिए बम, तोड़फोड़ और अपहरण के खतरों से निपटने के लिए लागू किया है।

‘पीटीआई-’ ने सबसे पहले 22 अक्टूबर को खबर दी थी कि भारतीय विमानन सुरक्षा नियामकों और एजेंसियों ने बीटीएसी के प्रोटोकॉल में बदलाव किया है, ताकि विभिन्न भारतीय एयरलाइन को इंटरनेट के जरिए दी जा रही बम संबंधी सूचनाओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।

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