भारत और SpaceX का ऐतिहासिक सहयोग: GS2 सैटेलाइट लॉन्च

GS2 सैटेलाइट लॉन्च: नया अध्याय

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अमेरिका की प्राइवेट कंपनी स्पेसएक्स के सहयोग से GS2 (GSAT-20) सैटेलाइट लॉन्च करने का निर्णय लिया है। यह सैटेलाइट, जिसका वजन 4700 किलोग्राम है, एलोन मस्क की कंपनी के फाल्कन 9 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। GS2 की मदद से भारत में इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवाएं और दूरस्थ क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवाओं की नई क्रांति आएगी।

स्पेसएक्स का चयन क्यों?

इसरो के पास वर्तमान में भारी वजन वाले सैटेलाइट को लॉन्च करने की क्षमता सीमित है।

  • भारतीय रॉकेट की सीमा: ISRO का सबसे बड़ा लॉन्च व्हीकल LVM3 जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में 4000 किलोग्राम तक का पेलोड ही भेज सकता है।
  • GS2 का वजन: 4700 किलोग्राम, जो कि LVM3 की सीमा से अधिक है।
  • फाल्कन 9 की क्षमता: स्पेसएक्स का यह रॉकेट इस वजन को आसानी से GTO में भेजने की क्षमता रखता है।

GS2 सैटेलाइट: क्या है विशेषता?

  1. कटिंग-एज टेक्नोलॉजी: GS2 एक हाई थ्रूपुट कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जो KA-बैंड में काम करेगा।
  2. उपयोग:
    • इन-फ्लाइट इंटरनेट सेवा के लिए।
    • ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड पहुंचाने के लिए।
  3. क्षमता: यह 48 Gbps तक की डेटा स्पीड प्रदान करेगा।
  4. लाइफ स्पैन: GS2 अगले 14 वर्षों तक सेवाएं देगा।

भारत का अगला कदम: एनजीएलवी (NGLV)

इसरो भविष्य में भारी पेलोड लॉन्च करने के लिए NGLV (नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल) पर काम कर रहा है।

  • क्षमता:
    • लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में 30 टन।
    • GTO में 10 टन।
  • तकनीकी विशेषता: पहला स्टेज पुनः उपयोगी होगा, जो लागत कम करेगा।
  • सरकारी बजट: इसके लिए 8240 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

स्पेस सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर का महत्व

ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा है कि भारत में स्पेस सेक्टर को प्राइवेट कंपनियों के सहयोग की आवश्यकता है।

  • इसरो का कोर फोकस: अनुसंधान और विकास।
  • प्राइवेट कंपनियों का लाभ: स्पेस मिशन की लागत और जोखिम कम करना।
  • आर्थिक वृद्धि:
    • भारत की स्पेस इकोनॉमी वर्तमान में 9 बिलियन डॉलर है।
    • 2040 तक इसे 44 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
    • ग्लोबल स्पेस मार्केट में भारत का हिस्सा वर्तमान में 2% है, जिसे बढ़ाना है।

चुनौतियां और सुझाव

  1. सरकारी बजट: स्पेस सेक्टर के लिए मात्र 12000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो वैश्विक मानकों के हिसाब से कम है।
  2. स्टार्टअप्स के लिए बजट: 1000 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है, पर विशेषज्ञ इसे अपर्याप्त मानते हैं।
  3. PPP मॉडल: पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) को बढ़ावा देना होगा ताकि स्पेस सेक्टर में निवेश बढ़ सके।

निष्कर्ष

GS2 सैटेलाइट लॉन्च भारत और स्पेसएक्स के सहयोग का ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल भारत के तकनीकी विकास को रेखांकित करता है बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त करता है। आने वाले वर्षों में, ISRO और प्राइवेट सेक्टर के सहयोग से भारत अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयां छूने के लिए तैयार है।

Share This:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *