लिया गया या दिया संन्यास? रविचंद्रन अश्विन के अचानक रिटायरमेंट पर उठते 3 बड़े सवाल

इंटरनेशनल क्रिकेट में 765 लेने वाले भारतीय टीम के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। ब्रिस्बेन के गाबा टेस्ट मैच के ड्रॉ होने के बाद अश्विन ने अपने संन्यास का ऐलान किया। अश्विन गाबा टेस्ट मैच में टीम इंडिया के प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं थे। ऐसे में उन्हें विदाई मैच भी नहीं मिला। अश्विन ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के एडिलेड टेस्ट मैच में मैदान पर उतरे थे, लेकिन इसमें उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था। ऐसे में आइए जानते हैं उन तीन बड़े कारणों के बारे में जिसकी वजह से अश्विन ने संन्यास लिया हो।

ऑस्ट्रेलिया में खराब प्रदर्शन के चलते था अश्विन पर दबाव

रविचंद्रन अश्विन पिछले एक दशक से टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया के फ्रंटलाइन स्पिनर रहे हैं। यही कारण है कि वे टीम इंडिया की तरफ से लाल गेंद फॉर्मेट में दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले टीम इंडिया में अश्विन के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था। न्यूजीलैंड के खिलाफ अश्विन ने दमदार गेंदबाजी भी की, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ एक मैच खेलने का बाद ही संन्यास की घोषणा कर दी। अश्विन एडिलेड में पिंक बॉल टेस्ट मैच में मैदान पर उतरे थे, जिसमें उनके नाम सिर्फ 1 ही विकेट रहा। इससे पहले पर्थ में उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। रोहित शर्मा के मुताबिक अश्विन पर्थ में ही संन्यास की घोषणा की करना चाहते थे, लेकिन कप्तान के कहने पर रुक गए। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या विदेशी धरती पर अश्विन का असरदार नहीं होने के कारण उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा गया, जिसके बाद उन्होंने संन्यास लेने का फैसला किया। क्योंकि एडिलेड के बाद ब्रिस्बेन में उनकी जगह रवींद्र जडेजा को मैदान पर उतारा गया। क्योंकि सीनियर खिलाड़ी के तौर पर लगातार अनदेखी करना एक तरह का यह संदेश ही था कि अब अश्विन की टीम में जगह नहीं बन रही है।

करियर के आखिरी पड़ाव में हो रही थी अश्विन की अनदेखी

इसमें कोई शक नहीं है कि रविचंद्रन अश्विन अब अपने करियर के आखिरी पड़ाव में थे। टीम इंडिया के लिए 16 साल के लंबे करियर में अश्विन ने कई यादगार पल जिए, लेकिन जब उनके रिटायरमेंट का समय आया तो आखिर क्या वजह थी कि उन्हें विदाई मैच भी नहीं मिला। ऐसे में यह एक सवाल है। इसके साथ ही यह समझा जा सकता है कि करियर के अंतिम पड़ाव में कही ना कही अश्विन की अनदेखी की गई। अश्विन को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर स्क्वाड में शामिल तो किया गया, लेकिन प्लेइंग इलेवन उन्हें जगह नहीं मिल रही थी। पर्थ में टेस्ट में अश्विन को बाहर बैठाया गया। एडिलेड में पिंक बॉल टेस्ट मैच में उन्हें मौका मिला था तो वह कुछ खास कमाल नहीं कर सके और सिर्फ 1 विकेट ही ले पाए। इसके बाद ब्रिस्बेन के गाबा में फिर से उन्हें बाहर रखा गया। ऐसे में लगातार टीम से बाहर किए जाने के कारण भी अश्विन को यह समझ में आ गया था कि अब टीम इंडिया में उनके दिन पूरे हो गए हैं और टीम मैनेजमेंट चाहती है कि वह संन्यास लेने का फैसला करे।

बढ़ती उम्र का भी अश्विन पर हुआ असर

टीम इंडिया में अनदेखी के साथ ही अश्विन पर बढ़ती उम्र भी उनके संन्यास का एक कारण रहा। भारत के लिए 100 ज्यादा टेस्ट मैच में 537 विकेट लेने वाले अश्विन कुछ दिनों में 39 साल के हो जाएंगे। टीम इंडिया में अश्विन अपनी गेंदबाजी के साथ-साथ बल्लेबाजी भी करते हैं। इसके अलावा अश्विन इंडियन प्रीमियर लीग और टीएनपीएल में भी लगातार खेलते हुए आ रहे हैं। ऐसे में 39 साल के होने वाले अश्विन के लिए इस उम्र में अपनी फिटनेस को कारगर रखना भी एक चुनौती रहा होगा, जिसके कारण उन्होंने संन्यास की घोषणा की है।

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