क्रिसमस कई लोगों के लिए हो सकता तनावपूर्ण: तुलसी पूजन दिवस मनाकर बच सकते हैं

रायपुर : छुट्टियों को ‘‘बेहतर’’ बनाने का दबाव, अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यकता से अधिक धन खर्च करना, छुट्टियों की खरीदारी, सजावट और सामाजिक मेलजोल जैसी प्रतिबद्धताओं के बीच संतुलन बनाने की जद्दोजहद हमें अभिभूत और थका हुआ महसूस करा सकती है।

अन्य कुछ लोगों के लिए क्रिसमस अकेलेपन, दुख या प्रियजनों से अलगाव की भावनाओं को उजागर करता है। यह मौसम खत्म हो चुके रिश्ते, आर्थिक मुश्किलों या जीवन के अधूरे लक्ष्यों की दर्दनाक याद दिला सकता है।

परिवार के सदस्यों से मुलाकात से भी तनाव पैदा हो सकता है क्योंकि हमें ऐसे रिश्तेदारों से बातचीत करने के लिए बाध्य होना पड़ता है जिनके विचार या आदतें आपस में मेल नहीं खाती हैं और इससे झड़प हो सकती है या विवाद फिर से उभर सकते हैं।

छुट्टियों के दौरान हालांकि कुछ तनाव होना अपरिहार्य है, लेकिन आप इससे निपटने के लिए कई चीजें कर सकते हैं और यहां तक ​​कि इस तनाव को पहले ही रोक सकते हैं जिनमें से एक है तुलसी पूजन दिवस मनाना ।

भारतीय संस्कृति में तुलसी पूजन दिवस का विशेष महत्व है। हर साल 25 दिसंबर को यह पर्व मनाया जाता है, पूर्व मे संत आशाराम बापूजी की पावन प्रेरणा से वर्ष 2014 से इसकी शुरूआत की गई जो प्रकृति, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। इस दिन तुलसी माता की पूजा कर समाज में सकारात्मक ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण और भारतीय मूल्यों का प्रचार-प्रसार किया जाता है।

तुलसी को हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी का स्वरूप और भगवान विष्णु की प्रिया माना गया है। तुलसी के बिना किसी भी पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता। इसके अलावा, तुलसी का पौधा पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इस दिन तुलसी माता की पूजा व 108 परिक्रमा करने से परिवार और समाज में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

25 दिसंबर को इस विधि से तुलसी पूजन करें

@ सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ़ वस्त्र धारण करें।
@ तुलसी के पौधे पर शुद्ध जल अर्पित करें।
@ तुलसी पर सिंदूर और लाल या गुलाबी फूल अर्पित करें।
@ तुलसी माता के पास 10 मिनट क़े लिए घी का दीपक जलाकर आरती करें।
@ तुलसी स्तोत्र का पाठ कर भक्ति-भाव से पूजा करें।
@ फल, मिठाई और पंचामृत का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें।

शाम के समय तुलसी माता के पास 10 मिनट क़े लिए दीपक जलाना विशेष शुभ माना जाता है। रविवार और पूर्णिमा, अमावस्या व दुवादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने से बचना चाहिए। तुलसी माला धारण करने से आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

आज के समय में जब पश्चिमी परंपराओं का प्रभाव बढ़ रहा है, तुलसी पूजन दिवस हमें अपनी संस्कृति को सहेजने और समाज को उसके महत्व से अवगत कराने का अवसर देता है।

25 दिसंबर को क्रिसमस मनाने के बजाय तुलसी का पौधा अपनाकर समाज को पर्यावरण संरक्षण और भारतीय मूल्यों का महत्व समझाएं।

तुलसी न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी है। यह वायु को शुद्ध करती है और कई बीमारियों का उपचार करती है।

25 दिसंबर तुलसी पूजन दिवस केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने और समाज में पर्यावरण और आध्यात्मिकता का संदेश फैलाने का पर्व है।

Share This:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *