आज कल आये दिन महिला कानून का दुरुपयोग (Misuse of Women’s Law) करके फ़र्जी बालक का केस बनकर पुरुषो को सताया जाता है
इन्ही के कहीं उदाहरण देखने को मिले
उदाहरण 1.
झारखण्ड उच्च न्यायालय ने महिला पुलिसकर्मी द्वारा कथित तौर पर झूठे बलात्कार के आरोप की सीबीआई जांच के आदेश दिए
झारखंड उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने सीबीआई को जमशेदपुर में घटित इस घटना के मामले में जांच करने का निर्देश दिया, जहां एक महिला कांस्टेबल ने अपने पुरुष सहकर्मी के खिलाफ झूठा बलात्कार का मामला दर्ज कराया था।
संक्षिप्त तथ्य
वर्तमान आपराधिक याचिका अवैध कारावास और गलत एफआईआर के खिलाफ मुआवजे की मांग के लिए दायर की गई है क्योंकि याचिकाकर्ता को मुकदमे का सामना करने के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत आरोपों से बरी कर दिया गया था।
माननीय न्यायालय ने पाया कि आरोपों की प्रकृति और वे पुलिस विभाग में हैं, इसे देखते हुए, सीबीआई की सहायता की आवश्यकता है।
इन विचारों के आधार पर, अदालत ने सीबीआई को जांच करने और सीलबंद कवर में इस अदालत को एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया
उदाहरण 2.
ऐसा ही मामला झारखंड के रांची में है
2017 में नीरज ने अपनी पत्नी और उसके परिवार वालों से तंग आकर तलाक का केस दायर किया
2018 में लड़की के परिवार ने उस पर 498 का मामला दर्ज किया
लड़की ने कहा उसे पति (नीरज) और उसके परिवार द्वारा मारने की कोशिश की गई
सारी कहानी झूठी है – नीरज ने दावा किया
साथ ही उसने नीरज के खिलाफ भरण-पोषण का मामला भी बनाया जिसके तहत उसे भुगतान करना होगा
6000 प्रति मह
उसे 2 महीने की जेल हुई
रांची हाई कोर्ट ने उनकी अपील पर सुनवाई की और 498ए को झूठे मामले का कारण बताते हुए मामले को खारिज कर दिया
आए मामलो को देखते हुए सरकार को विचार करना चाहिए ऐसे कानून का दुरुपयोग ना हो