जनवरी 2025 में भारत सरकार ने ई-कॉमर्स (e commerce) और क्विक-कॉमर्स (quick commerce) प्लेटफॉर्म्स के लिए एक नया कदम उठाते हुए ‘ई-कॉमर्स – सिद्धांत और स्व-शासन के लिए दिशानिर्देश’ नामक मसौदा दस्तावेज़ जारी किया है। इस पहल का उद्देश्य उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाना, पारदर्शिता बढ़ाना और ऑनलाइन खरीदारी के अनुभव को सुरक्षित बनाना है। खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की देखरेख में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा तैयार किए गए इस मसौदे पर 15 फरवरी 2025 तक सभी हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं।
मसौदा स्पष्ट रूप से तीन मुख्य चरणों – पूर्व लेनदेन, अनुबंध गठन और लेनदेन के बाद – के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश प्रस्तुत करता है। पूर्व लेनदेन चरण में, प्लेटफॉर्म्स को विक्रेताओं के लिए केवाईसी प्रक्रिया लागू करनी होगी, जिसमें कानूनी नाम, पता, वित्तीय जानकारी जैसी जानकारियाँ अनिवार्य हैं। साथ ही, उत्पादों की लिस्टिंग में विस्तृत विवरण, आयातक की जानकारी और पर्यावरणीय प्रभाव जैसी सूचनाओं को भी साझा करना होगा।
अनुबंध बनने की प्रक्रिया में, उपभोक्ताओं की स्पष्ट सहमति आवश्यक होगी। लेनदेन से पहले उन्हें ऑर्डर संशोधित करने या रद्द करने का विकल्प देना जरूरी होगा। वहीं, सब्सक्रिप्शन सेवाओं के लिए पूरी पारदर्शिता के साथ कैंसिलेशन का आसान विकल्प भी सुनिश्चित करना होगा।
क्विक-कॉमर्स (quick commerce) लेनदेन के बाद चरण: समीक्षा, रिफंड और डेटा सुरक्षा
लेनदेन के बाद, उपभोक्ताओं को रिफंड, एक्सचेंज और विवाद निवारण प्रक्रिया में सहायता दी जानी चाहिए। रेटिंग्स और समीक्षाएं भारतीय मानक (IS 19000:2022) के अनुसार ही प्रदर्शित की जाएंगी। इसके साथ ही, उपभोक्ताओं की निजी जानकारी का संरक्षण भी एक अनिवार्य पहलू है।
इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा करना नहीं है, बल्कि पूरे डिजिटल कॉमर्स क्षेत्र को अधिक उत्तरदायी और पारदर्शी बनाना है। इसके तहत यह भी स्पष्ट किया गया है कि विज्ञापन और प्रायोजित सामग्री को आसानी से पहचाना जा सके, और किसी भी प्रकार की भ्रामक रणनीतियों से बचा जाए।
हालांकि ये दिशानिर्देश फिलहाल स्वैच्छिक हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह उपभोक्ता विश्वास को सुदृढ़ करने में सहायक होंगे। कुछ उद्योग विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि छोटे व्यापारियों के लिए अनुपालन एक चुनौती बन सकता है, इसलिए इसमें कुछ स्पष्टता और लचीलापन ज़रूरी होगा।
निष्कर्ष: डिजिटल व्यापार की दिशा में सशक्त कदम
सरकार द्वारा सभी पक्षों से प्राप्त सुझावों के आधार पर अंतिम दिशानिर्देशों को औपचारिक रूप दिया जाएगा। यह प्रयास भारत के ई-कॉमर्स (e commerce) और क्विक-कॉमर्स (quick commerce) इकोसिस्टम को अधिक संतुलित और उपभोक्ता-केंद्रित बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।