भारत के बजट का विश्लेषण: 1947 से 2024 तक

हर साल की तरह इस साल भी भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी यूनियन बजट पेश करेंगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 1947 के पहले बजट से अब तक कितने बदलाव आए हैं? इस रिपोर्ट में हम भारत के बजट के इतिहास और उसके विकास पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

1947 का बजट: प्राथमिकताएँ और चुनौतियाँ

1947 में जब भारत को आज़ादी मिली, तब देश कई संकटों से गुजर रहा था। पाकिस्तान के साथ संघर्ष, लाखों शरणार्थियों का पुनर्वास, और रक्षा बलों की मजबूती सरकार की प्रमुख प्राथमिकताएँ थीं।

पहला बजट आर. के. षणमुखम चेट्टी द्वारा नवंबर 1947 में पेश किया गया था। इसमें सरकार के कुल खर्च का 57% केवल रक्षा पर खर्च किया गया था। अन्य प्रमुख खर्चों में आयातित खाद्यान्न पर सब्सिडी, शरणार्थियों के पुनर्वास, और ऋण भुगतान शामिल थे।

राजस्व स्रोत:

  • 80% सरकार की आय करों (इनकम टैक्स और कस्टम टैक्स) से प्राप्त होती थी।
  • सरकार का वित्तीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट) 21% था।

2024 का बजट: आधुनिक भारत की प्राथमिकताएँ

आज भारत की वित्तीय स्थिति काफी बदल चुकी है। 2024-25 के बजट में सबसे बड़ा व्यय ब्याज भुगतान पर किया गया, जो कुल खर्च का लगभग 20% है। अन्य महत्वपूर्ण व्यय:

  • रक्षा: 13%
  • सब्सिडी (खाद्यान्न, उर्वरक, पेट्रोलियम आदि): 8%
  • स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर: 25%

सरकार की आय के प्रमुख स्रोत:

  • 27% उधारी और अन्य देनदारियों से
  • 18% जीएसटी
  • 19% इनकम टैक्स
  • 17% कॉर्पोरेट टैक्स

बजट और स्टॉक मार्केट का संबंध

बजट के दिन स्टॉक मार्केट पर भी प्रभाव पड़ता है। ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि 20 में से 11 बार बजट के दिन बाजार ने नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। 2021 में, बजट के दिन सेंसेक्स और निफ्टी में 5% की वृद्धि हुई थी।

1991 का बजट: भारत की अर्थव्यवस्था का टर्निंग पॉइंट

1991 में भारत को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा था। उस समय भारत के पास केवल $1 बिलियन का विदेशी मुद्रा भंडार था, जो मात्र दो सप्ताह के आयात के लिए पर्याप्त था। इस संकट के कारण सरकार ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) नीति अपनाई, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास हुआ।

प्रमुख सुधार:

  • विदेशी निवेश के लिए अर्थव्यवस्था खोली गई।
  • सरकारी नियंत्रण कम किए गए।
  • व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नियमों को सरल बनाया गया।

फिस्कल डेफिसिट का प्रभाव

1980 के दशक में सरकार कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी पर अधिक खर्च करने लगी, जिससे वित्तीय घाटा 8.3% तक पहुँच गया। 1991 के संकट के बाद इसे नियंत्रित करने के लिए FRBM एक्ट लाया गया। कोविड-19 के दौरान वित्तीय घाटा फिर से 9% तक बढ़ गया था, लेकिन सरकार 2025-26 तक इसे 4% तक लाने का लक्ष्य बना रही है।

महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों के लिए बजट

सरकार महिलाओं और बच्चों के लिए बजट में विशेष प्रावधान करती रही है। हाल के वर्षों में महिलाओं के लिए आवंटित बजट 5% से बढ़कर 6.8% तक हो गया है। महिला-विशेष योजनाओं में:

  • पूर्ण रूप से महिलाओं के लिए योजनाएँ
  • आंशिक रूप से लाभान्वित योजनाएँ

कुल मिलाकर

भारत का बजट समय के साथ काफी विकसित हुआ है। 1947 में प्राथमिकता रक्षा और पुनर्वास थी, जबकि आज फोकस आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और वित्तीय स्थिरता पर है।

आने वाले वर्षों में सरकार की वित्तीय नीतियाँ किस दिशा में जाएँगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

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