पुणे पोर्शे हादसे में नया मोड़: नाबालिग रईसजादे को पेशी के लिए बुलाया गया

पुणे में हुए पोर्शे हादसे ने देशभर में हड़कंप मचा दिया है। एक नाबालिग रईसजादे ने शराब के नशे में अपनी लग्जरी पोर्शे कार से दो इंजीनियरों की जान ले ली। इस मामले को लेकर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं। महाराष्ट्र के पुणे में 18 मई को हुई इस घटना में, तेज रफ्तार पोर्शे कार ने एक बाइक को टक्कर मार दी, जिससे बाइक पर सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को केवल एक निबंध लिखने का आदेश देकर छोड़ दिया, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। इस निर्णय पर विवाद बढ़ने के बाद, ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हो गई। अब इस मामले में नाबालिग आरोपी को आज यानी बुधवार को अदालत के सामने पेश किया जाएगा।

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 17 साल के आरोपी को नोटिस जारी किया है और उसे आज बोर्ड के सामने पेश होने को कहा है। यह नोटिस तब जारी किया गया जब पुणे पुलिस ने बोर्ड से उसके जमानत आदेश की समीक्षा करने के लिए एक याचिका दायर की। बोर्ड अपने यरवदा इलाके में स्थित कार्यालय में दोपहर करीब 12 बजे इस याचिका पर सुनवाई कर सकता है।

हादसे के समय, नाबालिग शराब के नशे में धुत था और 200 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से अपने पिता की पोर्श कार चला रहा था। इस दुर्घटना में मध्य प्रदेश के रहने वाले दो इंजीनियर, अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा, की मौके पर ही मौत हो गई। यह कार पुणे के एक अमीर बिल्डर का नाबालिग बेटा चला रहा था। हादसे के बाद, उसने भागने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।

बाद में उसे किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया, जहां कुछ घंटों बाद उसे जमानत मिल गई। पुलिस के अनुसार, आरोपी किशोर शनिवार और रविवार की रात को अपने दोस्तों के साथ दो बारों में गया था और वहां शराब पी थी। किशोर न्याय बोर्ड द्वारा रविवार को दिए आदेश में कहा गया, “लड़के के दादा ने आश्वासन दिया है कि वह उसे किसी भी बुरी संगति से दूर रखेंगे और उसकी पढ़ाई पर ध्यान देंगे।”

बोर्ड ने कहा कि नाबालिग को उसके निजी मुचलके और 7,500 रुपये के मुचलके पर इस शर्त के साथ जमानत पर रिहा किया जाता है कि उसके माता-पिता उसकी देखभाल करेंगे और वह भविष्य में कभी भी अपराधों में शामिल नहीं होगा। साथ ही, बोर्ड ने उसे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय का दौरा करने और यातायात नियमों का अध्ययन करने तथा 15 दिनों के भीतर एक प्रस्तुति देने का निर्देश दिया। इसके अलावा, उसे 15 दिनों तक यरवदा मंडल की पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक कंट्रोल में मदद करनी होगी और शराब छोड़ने के लिए मनोचिकित्सक से इलाज कराना होगा।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि नाबालिग को सड़क दुर्घटनाओं के परिणामों और उनके उपायों पर कम से कम 300 शब्दों का निबंध लिखना होगा।

पुणे पुलिस ने इस जमानत आदेश को चुनौती देते हुए सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था और आरोपी को वयस्क के रूप में सजा देने की मांग की थी। पुलिस ने कहा कि अपराध जघन्य है और नाबालिग को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हालांकि, अदालत ने पुलिस को आदेश की समीक्षा के लिए किशोर न्याय बोर्ड से संपर्क करने को कहा।

अब इस मामले में नाबालिग की पेशी के बाद आगे की कार्रवाई पर नजरें टिकी हैं। न्याय की उम्मीद में, देशभर के लोग इस मामले पर बारीकी से ध्यान दे रहे हैं और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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