बंगाल में ओबीसी आरक्षण रद्द पर ममता बनर्जी का बीजेपी पर तीखा हमला

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में ओबीसी आरक्षण रद्द करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जिम्मेदार ठहराया है। खड़दह में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “कुछ लोग ओबीसी के हितों पर कुठाराघात करने के लिए अदालत गए और उन्होंने याचिकाएं दायर कीं, तब यह घटनाक्रम सामने आया है।”

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 37 वर्गों को दिए गए ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है, जिससे करीब 5 लाख मुस्लिमों के ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द हो जाएंगे। ममता बनर्जी इस फैसले को मानने को तैयार नहीं हैं और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि वह अदालत का सम्मान करती हैं, लेकिन मुस्लिमों को ओबीसी आरक्षण से बाहर रखने वाले इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी।

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बीजेपी केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर ओबीसी आरक्षण को रोकने की साजिश कर रही है। उन्होंने कहा, “बीजेपी इतना दुस्साहस कैसे दिखा सकती है? सरकार उसके द्वारा चलायी जाएगी या फिर अदालत के?” ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा क्योंकि इससे संबंधित विधेयक संविधान की रूपरेखा के भीतर पारित किया गया था। उन्होंने कहा, “सरकार ने घर-घर सर्वेक्षण करने के बाद विधेयक बनाया था और उसे मंत्रिमंडल और विधानसभा ने पारित किया था।”

दूसरी ओर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ममता बनर्जी पर वोट बैंक की राजनीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “बंगाल घुसपैठियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गया है। घुसपैठ की वजह से राज्य की जनसांख्यिकी बदल रही है, जिसका असर न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश पर पड़ रहा है।” शाह ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी अपने वोट बैंक की तुष्टीकरण के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रही हैं और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को घुसपैठियों से प्यार है।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य में सेवाओं और पदों में रिक्तियों में 2012 के एक अधिनियम के तहत दिया गया आरक्षण गैरकानूनी है। हाई कोर्ट ने 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि राज्य में राजनीतिक उद्देश्य के लिए मुस्लिमों के कुछ वर्गों को ओबीसी आरक्षण दिया गया, जो लोकतंत्र और पूरे समुदाय का अपमान है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि यह आरक्षण सीएम ममता बनर्जी के चुनावी वादे को पूरा करने के लिए दिया गया था।

ममता बनर्जी ने इस फैसले को “ओबीसी समुदाय के खिलाफ साजिश” बताते हुए कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत तक जाएंगी। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार ने पूरी प्रक्रिया को संविधान के दायरे में रहकर पारित किया था और अदालत के इस फैसले से असहमत हैं।

इस पूरे घटनाक्रम में बीजेपी और टीएमसी के बीच की सियासी खींचतान और तेज हो गई है, जहां दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। इस मुद्दे ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें ओबीसी समुदाय के अधिकार और उनके आरक्षण की वैधता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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