पुणे में हुए सड़क हादसे ने पूरे महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति को हिला कर रख दिया है। इस घटना पर विपक्षी दल लगातार सत्ताधारी पार्टी पर हमला बोल रहे हैं, जिससे राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है।
हादसे का विवरण
18-19 मई की रात को पुणे में एक 17 वर्षीय लड़के ने तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज गति से चलाते हुए एक बाइक को टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में बाइक सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के तुरंत बाद आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन 14 घंटे बाद उसे कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। बाद में विवाद बढ़ने पर उसकी जमानत रद्द कर दी गई।
विपक्ष का आरोप और विरोध प्रदर्शन
इस हादसे को लेकर विपक्षी दलों ने सत्ताधारी भाजपा और राज्य सरकार पर निशाना साधा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-एससीपी) के कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। पुणे लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र धांगेकर ने भी सीपी ऑफिस के सामने प्रदर्शन किया।
रवींद्र धांगेकर ने कहा, “इस मामले में पुलिस अधिकारी दोषी हैं और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए। जो लोग इस हादसे में मारे गए, उन्हें न्याय मिलना चाहिए। पुलिस कमिश्नर को इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि पुणे के लोग सड़कों पर उतर आए हैं।”
राजनीतिक दबाव और आरोप
एनसीपी-एससीपी के अध्यक्ष प्रशांत सुदामराव जगताप ने कहा, “पुणे आज गलत वजहों से ट्रेंड में है। इसलिए हम पुणे के डीएम कार्यालय आए हैं ताकि सब कुछ सही हो सके। देवेंद्र फडणवीस और भाजपा ने पुणे को बर्बाद कर दिया है। उन्होंने पुणे में मसाज पार्लर, डिस्को और पब की संस्कृति का समर्थन किया और इसलिए शहर में ‘माफिया राज’ है।”
जगताप ने यह भी कहा, “पुलिस राज्य सरकार के तहत काम करती है, लेकिन उसे दबाव में काम नहीं करना चाहिए। अगर कोई राजनीतिक दबाव बना रहा है तो पुलिस को उसका नाम सार्वजनिक करना चाहिए। केवल मुआवजे से काम नहीं चलेगा, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
आगे की कार्रवाई
कोर्ट ने आरोपी नाबालिग को 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। बाद में विवाद बढ़ने पर उसकी जमानत रद्द कर दी गई। पुलिस जांच में यह भी पाया गया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार चला रहा था।
निष्कर्ष
इस सड़क हादसे ने पुणे की सड़कों पर राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। विपक्षी दलों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन और आरोप-प्रत्यारोप के बीच, यह घटना राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है। अब देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और इससे महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है।