गर्मी में काला कोट और गाउन पहनने से वकीलों को छूट: सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर

नई दिल्ली: गर्मी के महीनों में वकीलों के लिए काले कोट और गाउन पहनने के अनिवार्य ड्रेस कोड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है। याचिका में इस ड्रेस कोड से छूट देने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि गर्मी के मौसम में इन कपड़ों के कारण स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

हकीकत में नहीं तो फिल्मों में ही सही, हम में से लगभग सभी ने कभी न कभी वकीलों को कोर्ट में बहस करते देखा होगा। चाहे मौसम कोई भी हो, वकीलों को अदालत में काले रंग का कोट या गाउन पहनना ही होता है। सर्दियों में तो यह ड्रेस कोड ठीक है, लेकिन गर्मियों में काले रंग के कपड़े वकीलों के लिए काफी असुविधाजनक हो जाते हैं। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें वकीलों को गर्मियों के दौरान काला कोट और गाउन पहनने से छूट देने की मांग की गई है।

अधिवक्ता शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा दायर इस याचिका में अनुरोध किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट और देश भर के हाई कोर्ट में गर्मियों के दौरान वकीलों को काला कोट और गाउन पहनने से छूट दी जाए। याचिका में यह भी मांग की गई है कि विभिन्न राज्यों की बार काउंसिल को निर्देश दिया जाए कि वे प्रत्येक राज्य के लिए ‘गर्मी के प्रमुख महीनों’ को निर्धारित करें ताकि उन महीनों में वकीलों को इस ड्रेस कोड से राहत मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट से यह भी अनुरोध किया गया है कि राज्यों में अधिवक्ताओं के लिए पारंपरिक ‘ड्रेस कोड’ में ढील देने पर विचार किया जाए, क्योंकि इससे बढ़ती गर्मी के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यह याचिका इस बात पर आधारित है कि गर्मी के मौसम में काले कोट और गाउन पहनने से वकीलों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन।

गौरतलब है कि 2022 में भी एक ऐसी ही याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी, जिसमें गर्मियों के दौरान काला कोट और गाउन पहनने से छूट देने का अनुरोध किया गया था। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि यह मामला अनुच्छेद 32 के तहत नहीं आता है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत के साथ बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के पास जाने को कहा था।

इस नई याचिका के साथ एक बार फिर यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है। अब देखना यह है कि कोर्ट इस बार इस याचिका पर क्या निर्णय लेता है और क्या वकीलों को गर्मियों के दौरान इस अनिवार्य ड्रेस कोड से राहत मिलती है या नहीं।

यह याचिका न केवल वकीलों के स्वास्थ्य की चिंता को दर्शाती है, बल्कि कोर्ट की ड्रेस कोड नीति में संभावित बदलाव की ओर भी इशारा करती है। अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जो इस मामले में अंतिम निर्णय लेगी।

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