“क्या अमेरिका अब टैलेंट से ज़्यादा पैसा देखेगा?”
H1B वीज़ा की दौड़ में अब किसे मिलेगा ग्रीन सिग्नल और कौन रह जाएगा पीछे? हम लाए हैं आपके लिए यह ग्राउंड रिपोर्ट, जो बदले हुए नियमों की पूरी तस्वीर दिखाएगी।
अब तक क्या था सिस्टम?
H1B वीज़ा – यानि वो गोल्डन टिकट जिससे लाखों भारतीय युवा हर साल अमेरिकी सपनों की ओर उड़ान भरते हैं।
- हर साल 85,000 वीज़ा – जिसमें 65,000 रेगुलर कैटेगरी और 20,000 उन लोगों के लिए होते हैं जिनके पास U.S. मास्टर्स डिग्री होती है।
- लेकिन जब दावेदारों की संख्या लाखों में पहुंच जाती थी, तो लॉटरी सिस्टम से रैंडम सिलेक्शन होता था।
नया नियम क्या कहता है?
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने किया बड़ा ऐलान:
अब लॉटरी सिस्टम की जगह “वेटेड वेज बेस्ड सिस्टम” लागू होगा।
यानि अब जिसका वेतन ज्यादा, उसी की किस्मत बुलंद।
📊 डिपार्टमेंट ऑफ लेबर ने तय किए 4 वेज लेवल्स:
- Level 1: एंट्री-लेवल/कम वेतन
- Level 2: मिड-लेवल
- Level 3: एक्सपीरियंस्ड वर्कर्स
- Level 4: हाईएस्ट पेड / सीनियर प्रोफेशनल्स
👉 अब वीज़ा देने में लेवल 4 वालों को मिलेगा सबसे ज्यादा वेटेज।
उदाहरण के लिए –
अगर 25 लोग लेवल 4 में और 75 लोग लेवल 1 में हैं, तो लेवल 4 वालों को 4 गुना ज्यादा चांस मिलेगा सिलेक्शन का।
$1 लाख की वीज़ा फीस – सच या अफवाह?
पहले कहा गया कि हर साल हर H1B कैंडिडेट पर $1 लाख (करीब 80 लाख रुपये) फीस देनी होगी।
🔍 बाद में सफाई आई:
- ये वन-टाइम फीस है, हर साल नहीं।
- सिर्फ नए वीज़ा पिटीशन्स पर लागू है।
लेकिन इतना ज़रूर तय है – महंगा सौदा बन चुका है अमेरिका जाना।
कौन जीतेगा, कौन हारेगा?
📈 विनर्स:
- हाईली पेड प्रोफेशनल्स (Level 4 वाले)
- अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियां जो टॉप ग्लोबल टैलेंट चाहती हैं
- U.S. में मास्टर्स डिग्री होल्डर्स
📉 लूज़र्स:
- इंडियन IT और स्टाफिंग कंपनियां
- एंट्री-लेवल जॉब वाले (Level 1-2)
- फ्रेश ग्रेजुएट्स और भारतीय इंजीनियर्स
👉 इंडियन्स होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित – क्योंकि 70% H1B वीज़ा भारतीयों को ही मिलते थे।
शेयर मार्केट और माइग्रेशन पर असर
- Infosys, TCS जैसी कंपनियों के शेयर गिरे
- कई NRI भारत से जल्दी लौटे – डर था कि नई फीस लगने से पहले वापसी करनी पड़ेगी
- मार्केट में panic और confusion
कानूनी लड़ाई की आशंका
विशेषज्ञों का कहना है –
Immigration and Nationality Act के अनुसार वीज़ा या तो पहले आओ-पहले पाओ या रैंडम लॉटरी से देना चाहिए।
वेटेड सिस्टम को लेकर कोर्ट केस की संभावना है।
इकोनॉमिक इंपैक्ट और ग्लोबल शिफ्ट
- अमेरिका में ऑफशोरिंग बढ़ सकती है – कंपनियां भारत में रहकर ही काम करवाएंगी
- भारतीय आईटी फर्म्स के प्रॉफिट मार्जिन पर दबाव
- स्किल शॉर्टेज का संकट अमेरिका में बढ़ सकता है – खासकर हेल्थ, आईटी और एजुकेशन सेक्टर में
कौन नहीं होगा प्रभावित?
- जिनके पास पहले से H1B वीज़ा है
- जिनका वीज़ा अप्रूव हो चुका है
- यूनिवर्सिटी, नॉन-प्रॉफिट रिसर्च इत्यादि पर कैप लागू नहीं
- इंट्रा-कंपनी ट्रांसफर (L1 वीज़ा) वाले
निष्कर्ष: ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’ फिर एक बार फ्रंटफुट पर
ट्रंप प्रशासन अब H1B वीज़ा को “हाई वेज वीज़ा सिस्टम” बनाना चाहता है।
👉 मकसद:
- अमेरिकियों को नौकरी मिले
- आउटसोर्सिंग कम हो
- और कम सैलरी वालों की एंट्री पर लगाम
सवाल ये है:
क्या इससे अमेरिका को वाकई फायदा होगा?
या ग्लोबल टैलेंट अमेरिका से मुंह मोड़ लेगा?